शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास समर्पित कार्यकर्ताओं का संगठन : अतुल कोठारी
न्यास की राष्ट्रीय प्रांत संयोजक बैठक का शुभारंभ
न्यास के प्रांत संयोजकों की जिम्मेदारी दोहरी होती है। वे केंद्रीय कार्यालय और स्थानीय कार्यकर्ताओं के बीच की कड़ी है। प्रांत संयोजक को न्यास के उद्देश्य और कार्य योजना की जानकारी होना चाहिए, उन्हें कार्यकर्ताओं को समझना और अपनी बात समझाना आना चाहिए। यह उद्गार न्यास के राष्ट्रीय सचिव अतुल कोठारी ने न्यास की राष्ट्रीय प्रांत संयोजक बैठक को संबोधित करते हुए व्यक्त किए। प्रांत संयोजक की भूमिका विषय पर बोलते हुए श्री कोठारी ने कहा कि प्रांत संयोजक न्यास के लक्ष्य और उद्देश्य कंठस्थ होने चाहिए। उन्होंने कहा कि भौतिकता व आध्यात्मिकता दोनों का शिक्षा में समावेश होना चाहिए, इसका अर्थ है कि हमें व्यक्तिगत जीवन में भी इसका समावेश करना चाहिए और निस्वार्थ भाव से कार्य करना आध्यात्मिकता है। हमारी कार्य पद्धति ही हमारे कार्य का आधार है। कार्यक्रम में विषय प्रवर्तन केरल के ए. विनोद ने किया ।
दूसरे सत्र में श्री जगराम ने प्रवास, बैठक, संपर्क, संवाद विषय को प्रतिपादित करते हुए कहा कि प्रांत संयोजक का व्यवहार पारदर्शी अहंकार रहित होना आवश्यक है। बैठक में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रो. अनिरुद्ध देशपांडे, न्यास के अखिल भारतीय प्रवासी कार्यकर्ता सुरेश जी गुप्ता ने भी संबोधित किया।
बैठक में बिहार प्रान्त से प्रो विजय कांत दास , प्रो त्रिलोचन शर्मा, प्रो अरुण कुमार सिंह डा मनीष कंठ एवं डा रमण सिंह ने प्रतिनिधित्व किया।
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