वैचारिक पूर्वग्रह से मुक्त होकर संवेदनात्मक विश्लेषण को महत्व देना ही साहित्यिक शोध-प्रो.संजीव कुमार शर्मा

मोतिहारी। महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय, बिहार के हिन्दी विभाग, महात्मा गाँधी केंद्रीय विश्वविद्यालय, बिहार के तत्वावधान में 'साहित्यिक शोध:अर्थ स्वरूप एवं समस्याएँ' विषयक विशिष्ट व्याख्यान का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के माननीय कुलपति प्रो.संजीव कुमार शर्मा ने की। प्रति-कुलपति प्रो.जी.गोपाल रेड्डी का सान्निध्य सभी को प्राप्त हुआ। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता प्रो.विनय कुमार भारद्वाज,आचार्य, हिन्दी विभाग,मगध विश्वविद्यालय,गया,बिहार थे।
प्रो.राजेन्द्र सिंह, अध्यक्ष, हिन्दी विभाग ने सभी का स्वागत किया। डॉ. परमप्रकाश, सहायक आचार्य,हिन्दी विभाग, मगध विश्वविद्यालय, गया,बिहार ने वक्तव्य देते हुए शोध प्रक्रिया की जटिलताओं पर प्रकाश डाला।
अध्यक्षीय उद्बोधन देते हुए प्रो.संजीव कुमार शर्मा, कुलपति, महात्मा गाँधी केंद्रीय विश्वविद्यालय, बिहार ने कहा कि, आचार्य रामचंद्र शुक्ल की आलोचना दृष्टि उनकी शोध दृष्टि है। शोध की यात्रा आत्मालोचन की यात्रा है। पूर्वग्रह से मुक्त इस यात्रा में हम वैचारिक प्रतिबद्धताओं को महत्व नहीं देते हैं। संवेदनात्मक विश्लेषण साहित्यिक शोध की आधारशिला है। शोध कार्य की निष्पक्ष समीक्षा करके ही हम समाज में कुछ जोड़ सकते हैं। 

'आज़ादी का अमृत महोत्सव' कार्यक्रम श्रृंखला के अध्यक्ष एवं विश्वविद्यालय के प्रति-कुलपति प्रो.जी.गोपाल रेड्डी ने अपने संक्षिप्त वक्तव्य में कहा कि, आज का दिन विश्व पटल पर भारत का प्रतिनिधित्व कर रहे 'शिकागो विश्व धर्म सम्मेलन' के नायक स्वामी विवेकानंद को याद करने का दिन है। कोविड-19 के चुनौतीपूर्ण समय में विश्वविद्यालय निरंतर कार्यक्रमों का आयोजन कर विद्यार्थियों को सीखने की प्रक्रिया से जोड़ रहा है।

कार्यक्रम के मुख्य वक्ता प्रो.विनय कुमार भारद्वाज,आचार्य, हिन्दी विभाग, मगध विश्वविद्यालय, गया,बिहार ने कहा कि साहित्यिक शोध का संबंध सामाजिक प्रगति से है। शोध की प्रक्रिया से गुजरते हुए हमें तथ्यों के विश्लेषण के साथ-साथ सामाजिक प्रासंगिकता को भी तय करना होगा। यांत्रिक गति से साहित्यिक शोध संभव नहीं है।
धन्यवाद-ज्ञापन संगोष्ठी की सह-संयोजक डॉ. गरिमा तिवारी(सहायक आचार्य, हिन्दी विभाग) ने किया। कार्यक्रम का सफल संचालन मनीष कुमार भारती(शोधार्थी,हिन्दी विभाग) ने किया।

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