गांधी केवल हमारे प्रतीक नहीं उपलब्धि हैं- प्रो. संजीव कुमार शर्मा


महात्मा गांधी केवल विचार नहीं अपितु सम्पूर्ण जीवन दर्शन हैं- प्रो. पुष्पा मोतियानी

मोतिहारी। महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय, मोतिहारी में गांधी जयंती और स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित विभिन्न कार्यक्रमों के तहत 2 अक्टूबर, 2021 को सायं 04 बजे से 'वैश्विक परिदृश्य में गांधी मूल्यों का पुनर्पाठ' विषयक संगोष्ठी का आयोजन चाणक्य परिसर, जिला स्कूल स्थित पंडित राजकुमार शुक्ल सभागार में किया गया। कार्यक्रम भौतिक एवं अभाषी दोनों माध्यम से हुआ। अध्यक्षता कुलपति प्रो. संजीव कुमार शर्मा ने की। प्रति कुलपति प्रो. जी. गोपाल रेड्डी का भी सानिध्य प्राप्त हुआ। मुख्य अतिथि प्रो. आर. एस. यादव, निदेशक, गांधी अध्ययन केंद्र, कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय कुरुक्षेत्र और विशिष्ट अतिथि प्रो. पुष्प मोतियानी, पूर्व संकायाध्यक्ष, गांधी दर्शन एवं शांति शोध केंद्र, गुजरात विद्यापीठ, अहमदाबाद थी।

अध्यक्षीय उद्बोधन में कुलपति प्रो. संजीव कुमार शर्मा ने कहा कि गांधी वैश्विक पटल के अनोखे शीर्ष राजनीतिज्ञ थे। उनके विचार और मूल्य का पुनर्पाठ से हम बहुत कुछ सीख सकते है। जब चारों ओर अशांति का वातावरण हो उस समय गांधी के विचार सबसे नजदीक, सरल व उत्कृष्ठ मार्गदर्शक के रूप में हमारे सामने उपस्थित होते है। हम अपने को पहचान न पाए हो लेकिन पश्चिमी देशों के लोग हमें पहचान लिए है। गांधी जी के पग जिधर पड़े उधर रास्ते बनते गए। यदि हम गांधी को देवत्व का दर्जा देते है तो यह मान लीजिए कि हम बौद्धिक असुरक्षा को आत्मसात किए है। गांधी को गांधी ही रहने दीजिए। वह सामाजिक, राजनीतिक एवं आर्थिक चिंतन के सर्वोत्तम मानक के रूप में पहले की अपेक्षा आज अधिक पहचाने जाने लगे है।

कार्यक्रम के बतौर मुख्य अतिथि सह गांधी अध्ययन केंद्र कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के पूर्व निदेशक प्रो. आर. एस. यादव ने कहा कि गांधी युग पुरुष है। भारत को यदि शीर्ष पर लेना है तो गांधी के मूल्य और सिद्धान्त को अपनाना होगा। शक्ति सत्ता की प्राप्ति और उनकी एवं भौतिक एवं प्राकृतिक संसाधनों का समुचित उपयोग गांधी के बताएं रास्ते पर चलकर बेहतर ढंग से कर सकते है। प्रो.आर.एस.यादव ने अपने संबोधन में "स्वदेशी" पर बल दिया। विश्व में वर्तमान में चल रहे घटनाओं के परिदृश्य और उनसे उत्पन्न राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय समस्याओं जैसे -आतंकवाद ,क्लाइमेट चेंज,साइबर क्राइम,ट्रांसफार्मेशन,ग्लोबलाइजेशन के विषय में गांधी एकनोलड्ज और सिद्धांत की बात की। प्रो. यादव ने वर्तमान के मानवाधिकार और गांधीय मानवता को रेखांकित किया। मानवीय क्षति जैसे कोरोना महामारी के समय बापू के आइडियोलाजी पे चर्चा की।उन्होनें गाधी जी के वित्तीय और विकास के मूल्य के विषय में वर्तमान परिदृश्य को जोड़ते हुए बताया।

   कार्यक्रम की विशिष्ट अतिथि सह गांधी दर्शन विभाग एवं शातिं शोध केंद्र गुजरात विद्यापीठ,अहमदाबाद की पूर्व संकायध्यक्ष प्रो.पुष्पा मोतियानी ने अपने उद्बोधन के दौरान गांधी जी के मूल्यों और आदर्शों का जिक्र किया तथा उनके विचार एवं रचनात्मकता प्रकाश डाला ।उन्होंने ममत्व से सम्तव की ओर जाने की बात कही। प्रो. मोतियानी ने गांधी जी के 16 अक्टूबर 1957 को उनके द्वारा दिए गए कथन का भी जिक्र किया।उन्होंने कहा -जिस प्रकार विस्तारवादी नीति के उद्देश्य बदल चुके हैं ऐसी स्थिति में कई समस्याओं का हल गांधीजी के मूल्यों से ही होगा। साथ ही प्रो. पुष्पा ने गांधी जी के "फाइव पी" को अपनाने की बात कही। उन्होंने कहा कि गांधी जी मानते थे की देश की आजादी को खतरा पढ़े लिखे संवेदनहीन लोगों से है।
         
स्वागत एवं विषय प्रवर्तन करते हुए कार्यक्रम के समन्वयक सह गाधी एवं शातिं अध्ययन विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो.सुनील महावर ने बापू के सत्य,अहिंसा,प्रेम और विश्वास के मूल्यों की चर्चा की तथा कहा की गांधी के मूल्य हिंसा से शांति की ओर ले जाएंगे।

कार्यक्रम का संचालन सहायक आचार्य डॉ. अभय विक्रम सिंह और धन्यवाद ज्ञापन सह आचार्य डॉ. असलम खान ने किया। गांधी एवं शांति अध्ययन की तरफ से संयोजित एक पुस्तक का भी माननीय कुलपति ने विमोचन किया। कार्यक्रम में ओएसडी एडमिन प्रो. राजीव कुमार, शोध एवं विकास संकाय के डीन प्रो. संतोष त्रिपाठी, चीफ प्रॉक्टर प्रो. प्रणवीर सिंह, प्रो. सुनील श्रीवास्तव, प्रो. आत्रतर्ण पाल, गांधी एवं शांति अध्ययन विभाग के जुगुल किशोर दाधीच , डॉ. अम्बिकेश त्रिपाठी, सहित विश्वविद्यालय के शिक्षक, शोधार्थी एवं विद्यार्थी उपस्थित थे।

रिपोर्ट- अंकित मिश्र और चतुर्वेदी कुमार

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