स्वातंत्र्योत्तर भारत में गाँधी दर्शन पर संगोष्ठी का आयोजन
मोतिहारी। राजकुमार शुक्ल अध्ययन एवं अनुसंधान केंद्र के तत्वावधान में स्वातंत्र्योत्तर भारत में गाँधी दर्शन विषयक इ-संगोष्ठी का आयोजन ऑनलाइन माध्यम से किया गया .
कार्यक्रम की अध्यक्षता चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय मेरठ के तिलक स्कूल ऑफ़ जर्नलिज्म एंड मास कम्युनिकेशन के निदेशक प्रो. प्रशांत कुमार ने की.
विशिष्ट वक्ता के तौर पर अहिंसा एवं शांति अध्ययन विभाग, जैन विश्व भारती विश्वविद्यालय लाडनू, राजस्थान के विभागाध्यक्ष प्रो. अनिल धर की उपस्थिति रही.
विषय प्रवर्तन करते हुए राजकुमार शुक्ल अध्ययन एवं अनुसंधान केंद्र के राष्ट्रीय संरक्षक डॉ. साकेत रमण ने अतिथियों का स्वागत व अभिनंदन किया. डॉ. साकेत रमण ने महात्मा गाँधी के चंपारण आगमन एवं चंपारण सत्याग्रह के विषय पर प्रकाश डाला. डॉ. रमण ने कहा की बापू देवलोकगमन के पश्चात भी एक सर्वमान्य व्यक्तित्व के रूप में विद्यमान हैं . बापू ने अहिंसा और सत्याग्रह के माध्यम से अंग्रेजी शासन को भी भारत से उखाड़ फेकने का कार्य किया.
डॉ. साकेत रमण ने कहा कि महात्मा गाँधी की रचनाएं जैसे कि सत्य के साथ मेरे प्रयोग के माध्यम से उन्होंने अपने जीवन की अनछुए पहलुओं से सबको रूबरू कराया और सत्य अहिंसा जैसी भारत की मूल विचारधारा को जन जन में प्रेषित करने का कार्य किया. महात्मा गाँधी ने सत्य अहिंसा के सिद्धान्तों को ज़मीनी स्तर पर क्रियाशील करने और उसे मूर्त रूप देने का कार्य किया . साथ ही डॉ. रमण ने महात्मा गाँधी से जुडी कई घटनाओं का जिक्र करते हुए स्वातंत्रयोत्तर भारत में गाँधी दर्शन विषयक परिचर्चा की नीव रखी .
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि गाँधी स्वराज आश्रम कमालपुरा के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं युवा समाजसेवी रानू शंकर ने महात्मा गाँधी के बिहार आगमन एवं कमलापुर आश्रम के विकास यात्रा का एक संक्षिप्त विवरण सभी के समक्ष रखा . मुख्य अतिथि ने अपने वक्तव्य में कहा की महात्मा गाँधी के नाम पर पुरे विश्व भर में अनेक संस्थाएं, मार्ग और आश्रम संचालित हो रहे हैं जिससे की बापू की सत्य और अहिंसा की विचारधारा का प्रचार प्रसार भी हो रहा है . साथ ही उन्होंने गांधीवादी समाजसेवी एवं स्वतंत्रता सेनानी श्री राधामोहन सिंह और राजकुमार शुक्ल के योगदानों पर भी प्रकाश डाला.
मुख्य वक्ता गाँधी एवं शांति अध्ययन विभाग महात्मा गाँधी केंद्रीय विश्वविद्यालय के सहायक आचार्य डॉ. जुगल किशोर दाधीच ने गाँधी दर्शन पर अपने विचारों को सभी के समक्ष रखा. उन्होंने कहा की गाँधी दर्शन की उपादेयता दिन प्रति दिन बढती जा रही है. उन्होंने महात्मा गाँधी के विचारों और अंतर्राष्ट्रीय पटल पर उनके वैक्तित्व की महत्ता को समझाया . डॉ. दाधीच ने महात्मा गाँधी के विचारों को गौतम बुद्ध और महावीर जैसे महात्माओं से जोड़कर उसकी वर्तमान स्थिति में उपयोगिता पर अपनी बात रखी.
विशिष्ट वक्ता प्रो. अनिल धर ने कहा कि महात्मा गाँधी ने अहिंसा और सत्याग्रह जैसे अनमोल विचारों को किताबों तक सीमित रखने या उसे सैद्धांतिक जामा पहनाने के बजाय उसका प्रयोग समाज के उत्थान और अंग्रेजी हुकूमत को ख़तम करने के लिए किया. उन्होंने कहा की महात्मा गाँधी आज के युवाओं के लिए प्रेरणा श्रोत हैं और उनके विचार पूरे देश ही नही बल्कि पूरे विश्व का मार्ग प्रशस्त कर रहे हैं.
अध्यक्षीय उद्बोधन के दौरान प्रो. प्रशांत कुमार ने महात्मा गांधी के पत्रकारिता व स्वतंत्रता आन्दोलन संबंधी घटनाओं और उनके प्रेरक अनुभवों को सभी श्रोताओं के समक्ष रखा. उन्होंने कहा कि महात्मा गाँधी की पत्रकारिता समाज कल्याण के लिए थी और आज के पत्रकारों को महात्मा गांधी की आंदोलनकारी पत्रकारिता से बहुत कुछ सिखने की जरुरत है. प्रो. कुमार ने कहा की पत्रकारिता के विद्यार्थियों को महात्मा गाँधी के जैसे निर्भीक एवं सत्याग्रही पत्रकार बनने की जरुरत है .
धन्यवाद ज्ञापन राजकुमार शुक्ल अध्ययन एवं अनुसंधान केंद्र के राष्ट्रीय समन्वयक नवीन तिवारी ने दिया . ई-संगोष्ठी का संचालन आयोजन सचिव आशीष कुमार ने किया . कार्यक्रम का प्रसारण आपका हरकारा के फेसबुक पेज के माध्यम से किया गया जिसमे सैकड़ो दर्शकों की उपस्थिति रही.
गाँधी मार्ग हीं जीवन मे अंदर और जीवन के बाहर का अंतिम उपाय हैं इसको मानना पड़ेगा!!
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