लोक की भाषा माँ की भाषा है-डॉ.महासिंह पुनिया

मोतिहारी। 'अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस' के अवसर पर महात्मा गाँधी केंद्रीय विश्वविद्यालय, बिहार के मानविकी एवं भाषा संकाय और लोक कला एवं संस्कृति निष्पादन केंद्र के संयुक्त तत्वावधान में कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के माननीय कुलपति प्रो.संजीव कुमार शर्मा ने की। प्रति-कुलपति प्रो.जी.गोपाल रेड्डी का सान्निध्य सभी को प्राप्त हुआ। मुख्य वक्ता के रूप में 'जनकवि मेहर सिंह' सम्मान से सम्मानित डॉ. महासिंह पुनिया(निदेशक, युवा एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम विभाग, कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय, कुरुक्षेत्र) ने सभी को संबोधित किया। डॉ.पुनिया ने कहा कि, भाषाओं को सहेजना 'माँ' को सहेजना है। भारतवर्ष अपनी संस्कृति एवं अक्षुण्ण परम्परा से सम्पूर्ण विश्व
को आलोकित करता है। आज वैश्विक स्तर पर भाषाओं के लिए संकट बन रहा है। हमें इस संकट को गम्भीरता से लेना होगा। दस्तावेजीकरण के माध्यम से हमें अपने साहित्य को सहेजना होगा। यह जिम्मेदारी युवा पीढ़ी की है कि वह अपनी थाती के प्रति जागरूक एवं संवेदनशील हो और उचित दिशा में कार्य करे। 'धरोहर' जैसी संस्थाओं के निर्माण के माध्यम से हम यह रौशनी दूर तक फैला सकते हैं। 
प्रो.राजेन्द्र सिंह(अधिष्ठाता सह अध्यक्ष,मानविकी एवं भाषा संकाय, हिन्दी विभाग ) ने सभी का स्वागत किया। प्रो.सिंह ने कहा कि, आज का दिन उन सभी भाषाओं को संरक्षित एवं संवर्धित करने के लिए कृतसंकल्पित होने का दिन है जिसके माध्यम से हम अपनी मिट्टी से जुड़े रहते हैं। 'लोक कला एवं संस्कृति निष्पादन केंद्र' के समन्वयक के रूप में प्रो.राजेन्द्र सिंह ने इस ओर भी संकेत किया कि हम भविष्य में बिहार की लोक कलाओं एवं संस्कृति को सहेजते हुए विश्वविद्यालय को सुन्दर रूप देंगे।
डॉ. के.के.उपाध्याय(परीक्षा नियंता), 'ब्रज',डॉ. विश्वेश वाग्मी(सहायक आचार्य, संस्कृत विभाग) 'संस्कृत', डॉ. दीपक(सहायक आचार्य, अंग्रेजी विभाग) 'हरियाणवी', डॉ. उमेश पत्रा(सहायक आचार्य,अंग्रेजी विभाग) 'उड़िया', डॉ. कल्याणी हजारी(सहायक आचार्य, अंग्रेजी विभाग) 'मलयाली', डॉ. जुगल किशोर दाधीच(सह-आचार्य, गांधी एवं शांति अध्ययन विभाग) 'राजस्थानी', डॉ. अनिल प्रताप गिरी(सह-आचार्य, संस्कृत विभाग) 'अवधी', डॉ. श्याम कुमार झा(सह-आचार्य,संस्कृत विभाग) 'मैथिली', डॉ. उत्तम दास ने 'बांग्ला'भाषा का प्रतिनिधित्व करते हुए कार्यक्रम को जीवंत रूप प्रदान किया।
मनीष भारती(शोधार्थी, हिन्दी विभाग) 'अंगिका', बीना चिक बड़ाईक(शोधार्थी, हिन्दी विभाग) 'सादरी', श्वेता(विद्यार्थी,अंग्रेजी विभाग), रश्मि सिंह(शोधार्थी,हिन्दी विभाग) ने 'हिन्दी' भाषा का प्रतिनिधित्व करते हुए प्रस्तुति दी।
धन्यवाद ज्ञापन डॉ. अंजनी झा(सह-आचार्य,माध्यम अध्ययन विभाग) ने किया।

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