जब तक मानव सभ्यता रहेगी, लता रहेंगी : प्रो.प्रणवीर सिंह

6 फरवरी, 2023। मोतिहारी। महात्मा गाँधी केंद्रीय विश्वविद्यालय, बिहार के मानविकी एवं भाषा संकाय के तत्वावधान में "मेरी आवाज ही पहचान है:भारत रत्न लता मंगेशकर" कार्यक्रम का अयोजन किया गया। 
स्वर साम्राज्ञी लता मंगेशकर की प्रथम पुण्यतिथि पर आयोजित कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रो.प्रसूनदत्त सिंह, अधिष्ठाता, मानविकी एवं भाषा संकाय ने की। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में प्रो.प्रणवीर सिंह , अध्यक्ष,जीव विज्ञान,महात्मा गाँधी केंद्रीय विश्वविद्यालय,बिहार एवं विशिष्ट अतिथि के रूप में प्रो.सुनील महावर, अधिष्ठाता,समाज विज्ञान संकाय, महात्मा गाँधी केंद्रीय विश्वविद्यालय,बिहार ने लता मंगेशकर की संगीत यात्रा को याद किया। डॉ.अंजनी श्रीवास्तव, अध्यक्ष,हिंदी विभाग, डॉ.बिमलेश कुमार, अध्यक्ष,अंग्रेजी विभाग, डॉ.गरिमा तिवारी, सहायक आचार्य, एवं डॉ.गोविंद प्रसाद वर्मा, सहायक आचार्य,हिंदी विभाग, डॉ. विश्वेश वाग्मी, डॉ. बिश्वजीत बर्मन आचार्य,संस्कृत विभाग उपस्थित थे।


अध्यक्षीय उद्बोधन में प्रो.प्रसूनदत्त सिंह ने कहा कि संगीत की कोई भाषा नहीं होती। लता जी सफलता का चरम हैं। जीवन के प्रति अनुशासन लता जी को अति विशिष्ट बनाता है। लता जी के गीत सभी के गीत हैं।

बतौर मुख्य अतिथि प्रो.प्रणवीर सिंह ने कहा कि जिस दिन हम सीखना बंद कर देते हैं, हमारा अंत शुरू हो जाता है। काम के प्रति ईमानदारी लता जी के जीवन की सबसे बड़ी विशेषता है। लता जी खुली किताब हैं। मेरे लिए लता जी अनसुलझी पहेली हैं।

विशिष्ट प्रो.सुनील महावर ने कहा कि लता जी की जीवन दृष्टि सकारात्मक है। वह ममत्व की प्रतिमूर्ति थी। लता जी ने हिंदी सिनेमा में महिला कलाकारों के पारिश्रमिक के लिए संघर्ष किया है। उनकी गीत समाज के सभी वर्गों का प्रतिनिधित्व करते हैं।

 स्वागत एम.ए.संस्कृत के विद्यार्थी श्री छेदीलाल शर्मा, सेवानिवृत्त संयुक्त आयुक्त,वित्त विभाग,झारखंड सरकार एवं धन्यवाद ज्ञापन राजेश पांडेय, शोधार्थी,हिंदी,महात्मा गाँधी केंद्रीय विश्वविद्यालय,बिहार ने किया।

Comments

Popular posts from this blog

बेहतर स्क्रिप्ट राइटर के लिए कल्पनाशीलता जरूरी : फिल्म निर्देशक रवि भूषण

डॉ. आंबेडकर का पत्रकारिता में अद्वितीय योगदान-प्रो. सुनील महावर

डिजिटल प्लेटफॉर्म पर बिना जांच-पड़ताल के न करें सूचनाओं का प्रसारण : सुमिता जायसवाल