डॉ. श्याम नंदन ने राष्ट्रीय संगोष्ठी में प्रस्तुत किया शोध पत्र
मुस्लिम संत दरिया साहब के साहित्य में सनातन की चेतना विषय पर पढ़ा शोध पत्रमोतिहारी। महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय, मोतिहारी के हिन्दी विभाग के सहायक आचार्य डाॅ. श्याम नन्दन ने भारत विद्या अध्ययन संस्थान, नई दिल्ली द्वारा 'भारतीय मुसलमान भक्त कवियों का रचनात्मक प्रदेय' विषय पर आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी में *मुस्लिम संत दरिया साहब के साहित्य में सनातन की चेतना* विषय पर शोध-पत्र प्रस्तुत किया। अपने शोध-पत्र में डाॅ. श्याम नन्दन ने बताया है कि भारत की आध्यात्मिक परंपरा की एक महत्वपूर्ण विशेषता है कि बहुत सी बाह्य विचारधाराएँ समय के साथ इसमें समाहित होती गयीं लेकिन सनातन हिन्दू धर्म पर कोई खास फर्क नहीं पड़ा। बल्कि इससे सनातन धर्म का वैशिष्ट्य और निखर कर सामने आया | इस्लाम के नाम पर कट्टर मजहबी सोच रखने वाले शासकों के संरक्षण में हिंदुओं के मतांतरण के अभियान भी चले लेकिन उसी दौर में बहुत से ऐसे मुस्लिम संत और भक्त हुए, जिन्होंने सनातन की चेतना से अनुप्राणित होकर भारतीय अध्यात्म की परंपरा को अंगीकार किया और उसी में रम गए। मध्य काल से लेकर आज तक अनवरत चलती आ रही ऐसे मुस्लिम संतों की परंपरा में बिहार में जन्मे दरिया साहब का महत्वपूर्ण स्थान है ।
यद्यपि दरिया साहब जन्म से मुसलमान थे तथापि उनके विचार इस्लाम से अधिक सनातन हिंदू धर्म से प्रभावित हैं। दरिया साहब के ये विचार उनके साहित्य में झलकते हैं। । दरिया साहब के साहित्य में ब्रह्म, आत्मा, पुनर्जन्म, स्वर्ग, नरक, माया, ज्ञान, भक्ति आदि विषयों पर चर्चा की गयी है, जिस पर भारतीय सनातन अध्यात्म का प्रभाव स्पष्ट दिखाई पड़ता है ।
दरिया साहब सतयुग, त्रेतायुग, द्वापर और कलियुग की चर्चा करते हैं। दरिया साहब सुरसरि गंगा, यमुना और सरस्वती नदियों के साथ ही ब्रह्मा, विष्णु, महेश, गणेश, लक्ष्मी, ब्रह्माणी की बात करते हैं। जीव, आत्मा, मोक्ष, ब्रह्म, पाप-पुण्य, धर्म-अधर्म, स्वर्ग-नर्क, इंद्र, यमराज, चित्रगुप्त आदि की बात करते हैं। ज्ञान-भक्ति- प्रेम के सामंजस्य से मोक्ष की बात करते हैं। वो कहते हैं कि जीव का परम लक्ष्य परमब्रह्म में तक पहुँचकर मोक्ष प्राप्त करना है। दरिया साहित्य में इन सभी की चर्चा सनातन की चेतना को प्रमाणित करती है। इससे प्रमाणित होता है कि दरिया साहब भले ही मुस्लिम माँ और मतांतरित होकर मुसलमान बने पिता की संतान होने के कारण मुस्लिम माने गए लेकिन भारत के मूल धर्म, दर्शन और अध्यात्म की अक्षुण्ण और प्रवाहमान सरिता में समाहित होकर भारत की संत परंपरा आगे बढ़ाने वाले मुस्लिम संत हैं, जिनके विचार सनातन धर्म की चेतना से अनुप्राणित हैं।
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