विश्वबंधुत्व के लिए भाषा नहीं भावों की आवश्यकता होती है : प्रो. पवन शर्मा

मोतिहारी। महात्मा गाँधी केन्द्रीय विश्वविद्यालय के शैक्षिक अध्ययन विभाग शिक्षा संकाय द्वारा दो दिवसीय नेशनल कान्फेंस ग्लोबल वेळ बीइंग @ग्लोबल सिटिज़नशीप विषय पर आयोजित की गयी। जिसके समापन सत्र  का शुभारम्भ अतिथियों द्वारा दीप प्रज्वलन सह माल्यार्पण एवं सरस्वती वन्दना के द्वारा किया गया | तत्पश्चात कार्यक्रम में स्वागत वक्तब्य सह विषय परिवर्तन संकायाध्यक्ष प्रो.आशीष श्रीवास्तव के द्वारा किया गया। तदुपरांत विश्वविद्यालय के माननीय कुलपति प्रो. संजय श्रीवास्तव का आशीर्वाद वचन के रूप में सानिद्ध प्राप्त हुआ| उन्होंने कहा कि वैश्विक नागरिकता इस दौर की मांग है |तदुपरांत समापन सत्र के विशिष्ट अतिथि प्रो. पवन शर्मा( चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय मेरठ) का सानिध्य प्राप्त हुआ,  जिसमे उन्होंने कहा कि भारतीय ज्ञान परम्परा विश्वबंधुत्व में विश्वास करती है जो एक सांस्कृतिक अवधारणा है,नागरिकता राजनैतिक संकल्पना है जो अर्जित की जाती। विश्वबंधुत्व एवं नागरिकता के अंतर को समझना होगा , विश्वबंधुत्व के लिए भाषा नहीं भावों की आवश्यकता होती है |तत्पश्चात कार्यक्रम के मुख्य अतिथि  प्रो. पवन सिन्हा ( दिल्ली विश्वविद्यालय)  का शानदार ओजश्वी उद्बोधन प्राप्त हुआ | जिसमे उन्होंने कहा कि  भारत पूरी दुनिया के लिए अनिवार्य सांस्कृतिक तत्व रखता है, यह इसे समझाना होगा | आगे उन्होंने कहा कि एक शिक्षक को क्लास तक सीमित नहीं रखना है इसके इतर जीवन निर्वहन की कला को सिखाना होगा| इस जिम्मेदारी का निर्वहन भी करना होगा | साथ ही उनके द्वारा  रियल सिटिजनशिप और वर्चुवल सिटिजन के अंतर को समझाया गया| तत्पश्चात कार्यक्रम में प्रो. प्रसून दत्त सिंह मुख्य कुलानुशासक का उद्बोधन प्राप्त हुआ | उनके द्वारा  भाषा परिहास पर जोर दिया गया | समापन सत्र के पहले कार्यक्रम में 2 सत्रों में पैनल परिचर्या का सत्र आयोजन किया गया , तथा समानान्तर ऑनलाइन एवं ऑफलाइन सत्रों का आयोजन किया गया |कार्यक्रम का संचालन सुप्रभा एवं आस्तिक मिश्र द्वारा किया गया | इस मौके पर प्रो. जुगल दधिची , डॉ, नरेन्द्र सिंह, डॉ बबलू पाल, डॉ चन्द्र प्रकाश , डॉ रश्मि श्रीवास्तव , श्रद्धानंद , और विश्विद्यालय के सभी विभागों के छात्र एवं अन्य प्रान्तों लगभग 100 शोधार्थी विद्यार्थी उपस्थित थे|  इस मौके पर सुप्रभा, आस्तिक मिश्र,गौतम, शुभ्रा, मेनका, कनाई , सुजॉय, पार्थ सरकार, मनीष, प्रणव वर्मन, सुप्रभा, आस्तिक मिश्र  आदि शोध छात्र उपस्थित थे।

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