डिजिटल और तकनीकी प्रगति से पुस्तकालय समृद्ध- प्रो. संजय श्रीवास्तव

मोतिहारी। महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय के पुस्तकालय एवं सूचना विज्ञान विभाग, संगणक विज्ञान, सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी संकाय द्वारा द्वि-दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी 'डिजिटल एंड टेक्नोलॉजिकल एडवांसमेंट फ़ॉर सस्टेनेबल लाइब्रेरीज' विषय पर बनकट स्थित बुद्ध परिसर के बृहस्पति सभागार में आयोजित हुई। 

संगोष्ठी की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. संजय श्रीवास्तव ने की और मुख्य अतिथि प्रो. के. एल. महावर थे, विभागाध्यक्ष , पुस्तकालय विज्ञान विभाग, बाबा साहेब भीम राव अम्बेडकर केंद्रीय विश्वविद्यालय, लखनऊ थे। स्वागत संगोष्ठी के आयोजन सचिव प्रो. रंजीत कुमार चौधरी ने की।

अध्यक्षीय उद्बोधन में कुलपति प्रो. संजय श्रीवास्तव ने कहा कि तकनीकी के निरंतर विकास और परिवर्तन से पुस्तकालयों को उसके अनुरूप ढालने की चुनौती बढ़ गई है। आज ई-लाइब्रेरी की अवधारणा तेजी से फलीभूत हुआ। डिजिटल और तकनीकी प्रगति से पुस्तकालय समृद्ध हुई है लेकिन शिक्षकों, शोधार्थियों और विद्यार्थियों को उसके सुविधा के अनुरूप सामग्री उपलब्ध कराना आवश्यक है। 

मुख्य अतिथि प्रो. के. एल. महावर ने कहा कि डिजिटल और तकनीकी प्रगति से पुस्तकालय की संरचना में अभूतपूर्व बदलाव आए है। इससे परंपरागत पुस्तकालय की महत्ता समाप्त नहीं हो जाती है। लेकिन समय की मांग है कि तकनीकी के अनुरूप पाठक और पुस्तकालय प्रदाता अपने को ढाल लें। की-नोट स्पीकर प्रो. आदित्य त्रिपाठी, विभागाध्यक्ष, पुस्तकालय विज्ञान विभाग बीएचयू ने विषय की प्रासंगिकता और उसके विविध आयामों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि पुस्तकालय जितने समृद्ध होंगे ज्ञान का विस्तार भी उतनी ही तेजी से होगी।  

स्वागत भाषण में प्रो. रंजीत कुमार चौधरी ने संगोष्ठी की आवश्यकता को बताते हुए अतिथियों का स्वागत किया। संगोष्ठी के प्रथम दिन दो तकनीकी सत्रों का भी आयोजन हुआ। जिसमें शिक्षकों एवं शोधार्थियों ने अपने शोध पत्र पढ़े। तकनीकी सत्रों की अध्यक्षता प्रो. आदित्य त्रिपाठी ने की। वक्ता डॉ. स्नेहा त्रिपाठी और रेपोर्टियर्स डॉ. अभिलाषा प्रियरदर्शनी और डॉ. कंचन लता भारती थी।
संगोष्ठी में प्रो. संगीता सिंह, आशीष कौशिक, डॉ. सरिता मिश्रा, डॉ. मनीष यादव, प्रो. मोहमद असलम खान आदि शिक्षकों, शोधार्थियों एवं विद्यार्थियों ने शोध पत्र प्रस्तुत किए।धन्यवाद ज्ञापन विभाग की सहायक आचार्य डॉ. सपना ने की।

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