डॉ. आंबेडकर का पत्रकारिता में अद्वितीय योगदान-प्रो. सुनील महावर

मोतिहारी। महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय के मीडिया अध्ययन विभाग में 'बाबा साहब भीमराव अंबेडकर की पत्रकारिता में सामाजिक- सांस्कृतिक चेतना' विषयक एक दिवसीय संगोष्ठी आयोजित हुई। कार्यक्रम के संरक्षक एमजीसीयूबी के कुलपति प्रो. संजय श्रीवास्तव थे। मुख्य वक्ता प्रो.सुनील महावर, अधिष्ठाता सामाजिक विज्ञान संकाय, विशिष्ट वक्ता नीतीश कश्यप , आरएसएस के विभाग प्रचारक, चंपारण थे। अध्यक्षता डॉ. अंजनी कुमार झा, विभागाध्यक्ष मीडिया अध्ययन विभाग तथा संयोजक व संचालक डॉ. परमात्मा कुमार मिश्र थे। धन्यवाद ज्ञापन सहायक प्राध्यापिका डॉ. उमा यादव ने प्रस्तुत की।

बतौर मुख्य वक्ता प्रो. सुनील महावर ने कहा कि देश की आजादी में बाबा साहब भीमराव अंबेडकर का योगदान गांधी जी से कम नहीं था। उनका योगदान केवल दलितों के लिए ही नहीं बल्कि सम्पूर्ण समाज के लिए था। उनके संविधान में विशेष योगदान को कभी नहीं बुलाया जा सकता है। उन्होंने समाज की तुलना जहाज से करते हुए कहा कि जिस तरह जहाज के किसी एक हिस्से में छेद हो जाता है तो पूरा जहाज डूब जाता है, उसी प्रकार समाज के किसी एक जाति विशेष के साथ यदि अत्याचार होता है तो पूरे समाज को नुकसान उठाना पड़ता हैं। उन्होंने कहा कि डॉ. आंबेडकर का पत्रकारिता में अद्वितीय योगदान रहा है। उनके द्वारा प्रकाशित मूकनायक, बहिष्कृत भारत , समता ,प्रबुद्ध भारत और जनता ने देश की आजादी व समाज के कल्याण में बहुत ही अहम भूमिका निभाई है। डॉ.अंबेडकर के पत्रकारिता व प्रेस के संबंध में कहा कि पत्रकारिता तार्किक ,न्यायिक पक्षपात व सनसनी खेज रहित होनी चाहिए। 

  विशिष्ट वक्ता नीतीश कश्यप, विभाग प्रचारक, चंपारण ने कहा कि अंबेडकर को जानने के लिए उन्हें पढ़ना नहीं समझना जरूरी है। उन्होंने कहा कि आज हम एक ऐसे समय में रह रहे हैं जहां हम पशु पक्षियों की तरफ भी प्रेम और सद्भावना दिखलाते हैं वहीं दूसरी तरफ अपने समान मनुष्य के साथ पशु से भी बुरा व्यवहार करते हैं। उन्होंने कहा कि भारत एक ऐसा देश है जिसके पास वेद ,पुराण ,उपनिषद जैसे महाकाव्य हैं और यहां के लोगों का इतना विवेकहीन होना शोभा नहीं देता। श्री कश्यप ने अंबेडकर के बारे में बताते हुए कहा कि अंबेडकर और संघर्ष दो ऐसे शब्द हैं जिन्हें अलग नहीं किया जा सकता है। उनका कहना था कि आज समाज में एकता से ज्यादा समता की जरूरत है। 

कार्यक्रम के अध्यक्षता कर रहे डॉ.अंजनी कुमार झा ने कहा कि देश की आजादी में आंबेडकर का योगदान किसी अन्य सेनानी से कम नहीं था परंतु उस समय और आज के आजाद भारत में भी उनके जाति के कारण उनका बहिष्कार हो रहा है। जरूरत है कि हम इस भेदभाव को खत्म कर एक साथ आगे बढ़े। 

संचालन करते हुए डॉ. परमात्मा कुमार मिश्र ने डॉ. आंबेडकर की पत्रकारिता में सामाजिक-सांस्कृतिक चेतना पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि डॉ. आंबेडकर का सम्पूर्ण जीवन समाज के निचले वर्गों के साथ समाज और राष्ट्र को समर्पित था। व 

कार्यक्रम में वाणिज्य विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ. शिवेंद्र सिंह तथा राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ के जिला प्रचारक मनु शेखर, पूर्वी चंपारण सहित विभाग के शोधार्थी व विद्यार्थी उपस्थित थे। कार्यक्रम में विशेष सहयोग लकी कुमार, अपूर्वा त्रिवेदी, अंकित कुमार, आदर्श मिश्र की थी। अंत में विद्यार्थी तुषाल कुमार, प्राची, विवेक गुप्ता, नीतीश कुमार, अंशिका, व सूरज श्रीवास्तव ने वक्ताओं से बाबा साहब भीमराव आंबेडकर के जीवन दर्शन और पत्रकारिता में उनके योगदान को लेकर अनेक प्रश्न किए जिसका समुचित उत्तर वक्ताओं ने दिया।

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