प्रो. शर्मा लगातार छठी बार इप्सा के महासचिव और कोषाध्यक्ष चुने गए

मोतीहारी। महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. संजीव कुमार शर्मा लगातार छठी बार इंडियन पॉलिटिकल साइंस असोसिएशन (इप्सा) के महासचिव और कोषाध्यक्ष चुने गए है।
इप्सा लगातार प्रो. शर्मा के अनुभवों और राजनीति विज्ञान की उनकी ज्ञान से लाभान्वित हो रही है। प्रो. शर्मा राजनीति विज्ञान के विशेषज्ञ भी हैं जिनके विचारों तथा अनुभवों के माध्यम से संगठन नई ऊंचाइयों को छू रही है और अपने उद्देश्य को नई पहचान दे रही है। प्रो. शर्मा कई भाषाओं के जानकार हैं और भविष्य के सृजन को भाप लेने की अद्भुत क्षमता हैं। आपकी दूरदर्शिता ने इप्सा के विचारों और सिद्धांतों को चारों दिशाओं में बिखेर रही है। इससे इप्सा को काफी मजबूती मिली है।

वही 2022 के लिए इप्सा के अध्यक्ष प्रो. शांतिश्री पंडित, उपाध्यक्ष प्रो. मनोज दीक्षित एवं प्रो. गीतांजलि दास और संपादक गुव्वा राम रेड्डी को चुना गया।

कार्यकारी समिति के सदस्य के रूप में प्रो. विवेक मिश्रा, प्रो. अंजना गर्ग, प्रो. ज्योतिराज पाठक, प्रो. हरीश ठाकुर, प्रो. राम सिंह, प्रो. मुज्जफर अस्सादी, डॉ. करुणा सिंह, डॉ. स्वदेश सिंह, डॉ नम्रता कोठारी, डॉ. बावा सिंह, डॉ. सोमा भौमिक, डॉ. मार्सिलिन एस. पुष्पा, डॉ. राखी पंचोला, डॉ अलीना थॉमस, डॉ सुभाष चंद्राकर को चुना गया है। 

साथ ही संपादक मंडल में प्रो. राका आर्य, प्रो. दीप्ति आचार्य, डॉ. वंदना मिश्रा, डॉ. सुमन मौर्य, डॉ. बी सोमेश्वर को चुना गया है।

इप्सा भारत में राजनीति विज्ञान और लोक प्रशासन के शिक्षकों और विद्वानों का सर्वोच्च, सबसे पुराना और सबसे बड़ा शैक्षणिक और पेशेवर निकाय है, जो राष्ट्रीय संघ और गैर-लाभकारी पंजीकृत संगठन है। जिसका उद्देश्य और बौद्धिक परंपराएं हैं- राजनीति विज्ञान की उन्नति; राजनीति का वैज्ञानिक अध्ययन; ज्ञान का प्रसार; और कठोर राजनीतिक जांच।

साथ ही इप्सा द्वारा दो पत्रिकाओं का प्रकाशन भी किया जाता है। जिसमे पहला सितंबर 1939 से "द इंडियन जर्नल ऑफ पॉलिटिकल साइंस " नामक एक त्रैमासिक तथा दूसरा सन् 2009 से हिंदी भाषा में द्वि-वार्षिक पत्रिका "भारतीय राजनीति विज्ञान शोधपत्रिका", जिसके पहले संपादक भी प्रो संजीव कुमार शर्मा है, का प्रकाशन जारी है।  

सम्मेलनों और मुख्य पदाधिकारियों की कालानुक्रमिक सूची इस बात का प्रमाण है कि इप्सा ने पूरे देश के विभिन्न हिस्सों में अपनी पहचान बनाई है।

यह पूरे विवि के लिए बहुत ही गर्व की बात है कि ऐसे विद्वान कुलपति का मार्गदर्शन पूरे विवि को प्राप्त हो रहा है। जिससे विवि निरंतर सफलता की नई कहानियां लिख रही है। 

विवि के प्रतिकुलपति प्रो. जी. गोपाल रेड्डी सहित सभी शिक्षकगण, अधिकारी, शोधार्थी, विद्यार्थी और पूरा विवि परिवार ने उन्हें इस उपलब्धि के लिए बधाई दी है।

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