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Showing posts from July, 2022

commonwealth Games 2022 : Anchinta sheuli ने गोल्ड मेडल में जीता, देश का छठा मेडल

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नई दिल्ली। अंचिता शेउला (Anchinta sheuli) ने कॉमनवेल्थ गेम्स 2022(commonwealth games 2022) में भारत को रविवार की रात को तीसरा गोल्ड मेडल दिलाया। इस 20 साल के युवा वेटलिफ्टर का यह पहला गेम्स है। उन्होंने पुरुषों के 73 किग्रा वेट कैटेगरी में यह कारनामा किया। उन्होनें 313 किग्रा वजन उठाया। यह गेम्स में भारत का ओवरऑल छठा मेडल हैं। इसमें दो सिल्वर और एक ब्रॉन्ज मेडल भी शामिल हैं। अब तक मिले सभी 6 मेडल वेटलिफ्टिंग से ही आए हैं। इससे खिलाड़ियों के शानदार प्रर्दशन को समझा जा सकता है। इससे पहले महिला वर्ग में मीरा बाई चानू ने और 19 साल के जेरेमी लालरिनुंगा ने भी गोल्डमेडल जीता था। गोल्ड जीतने के अंचिता शेउली ने कहा कि मेरा यह मेडल मेरे भाई को समर्पित है। इसके अलावा उन्होंने अपने कोच की भी तारीफ की। इसकी वजह खास है। अंचित के पिता मजदूरी करके घर चलाते थे। 2013 में उनकी मौत हो गई। ऐसे में घर को चलाने के लिए परिवार के सामने चुनौती भरा था। इसके बाद उनके भाई आलोक ने घर चलाने के लिए वेटलिफ्टिंग छोड़ दी। और अंचित को सहारा दिया। आज इस 20 साल के खिलाड़ी ने बर्मिंघम में गोल्ड मेडल जीतकर अपने प

भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा का पटना में विरोध

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पटना। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा शनिवार को पटना कॉलेज में आए हुए थे। यहां पर छात्र संगठन AISA व NSUI ने जेपी नड्डा वापस जाओ का नारा जमकर लगाएं। एक छात्रा नेता नड्डा के आते ही उनके गाड़ी के आगे सो गई। इसके नड्डा छात्रों से बात किए। इनका मांग था कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (NEP 2020)को वापस लिया जाए व पटना विश्वविद्यालय को केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा दिया जाए। नड्डा के साथ पटना कॉलेज गए भाजपा नेता इस घटना से नाराज दिखते नजर आ रहा है। उन्होंने कहा कि पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को नड्डा के पास आने दिया। एक स्थानीय भाजपा नेता ने कहा कि एक भी महिला पुलिस कर्मी उपस्थित नहीं थी। जब छात्राएं उनके वाहन के आगे जमीन पर लेट गई।  नड्डा भाजपा के सात फ्रंट संगठनों के दो दिवसीय सम्मेलन के लिए राज्य के राजधानी पटना पहुंचे थे। पार्टी ने उनके नेतृत्व में एक रोड शो भी किया था। विरोध के बाद AISA ने प्रेस विज्ञप्ति में बताया कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 ग्रेडेड असमानता को बढ़ावा देने के अलावा कुछ नहीं है। अपने वेबसाइट पर बयानों में नीति पर अन्य अपातियों के साथ संगठन ने जोर दिया है

International Tiger's Reserve day: टाईगर रिजर्व (Tiger Reserve) क्यों मनाया जाता

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विश्व बाघ दिवस(International Tiger Reserve) क्यों मनाते बाघों की संख्या बढ़ाने के लिए प्रत्येक साल वैश्विक बाघ दिवस 29 जुलाई को मनाया जाता है।  इस दिन को सेंट पीटर्सबर्ग टाइगर समिट, 2010 में स्थापित किया गया। पिछले 150 सालों में इनकी संख्या में 95 प्रतिशत गिरावट आने के बाद यह कदम उठाया गया। किस देश में सबसे अधिक बाघ दुनिया में सबसे अधिक बाघों की संख्या भारत में है। 2018 के सर्वे के अनुसार  2967 बाघ है। वर्ष 2014 में मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के रॉयल बाघों(Royal Tigers) की संख्या 308 थी, 2018 में 71 प्रतिशत में बढ़ोतरी होकर 526 हो गया। देश का सबसे बड़ा टाइगर रिजर्व भारत में सबसे बड़ा टाइगर रिजर्व नागार्जुन श्रीसैलम टाईगर रिजर्व है। यह नल्लामाला जंगल में स्थित है। यह पांच जिलों में फैला हुआ है। कुर्नूल, प्रकासम, गुंटूर, नलगोंडा और महबूब नागर में स्थित है। कब शुरू किया भारत सरकार ने बाघ संरक्षण(Tiger conservation) के लिए भारत सरकार टाईगर परियोजना की शुरुआत 1 अप्रैल 1973 किया था।

वेंडिंग जोन खाली, नहीं सज रही दुकानें

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पटना। शहरों में पथ विक्रेताओं के लिए वेंडिंग जोन बनाया गया है। लेकिन इन वेंडिंग जोन में दुकानें नहीं सज रही है। वेंडिंग जोन खाली ही रह रहा है। इन स्थानों पर नगर निगम का ध्यान नहीं जा पा रहा है। दुकानें वेंडिंग जोन में नहीं लगाकर पार्किंग एरिया व सड़कों के किनारों पर लगा रहे है। इससे आने-जाने वाले लोगों व गाड़ियों को खड़ा करने में परेशानी बढ़ जाती है। दोपहर के 12 बजकर 30 मिनट हो रहा है। बोरिंग कैनाल रोड के वेंडिंग जोन क्षेत्र में है। बोरिंग रोड से राजापुल तक वेंडिंग जोन बनाया गया है। यह वेंडिंग जोन दोनों सड़कों के बीच डिवाइडर पर बना हुआ है। इसके बीच में पार्किंग व वेंडिंग जोन दोनों है। इसमें वेंडिंग जोन को लोहा के ग्रिल से चारो तरफ घेरा गया हुआ है। इसी में दुकाने लगाई गई है। पंचमंदिर हुनुमान मंदिर से आगे बढ़ने पर तुरंत वाले वेंडिंग जोन में मात्र एक दुकानें है। इसके बाद वाले वेंडिंग क्षेत्र पूरी तरह खाली है। इसके बाद पार्किंग वाली क्षेत्र है लेकिन इसमें सब्जियों की दुकानें सजी हुई है। सड़कों पर दुकानें सजी थी। सड़क पर ही गाड़ियों को खड़ा कर दिया गया है। इससे गुजरने वाले लोगो

प्रो. राम मोहन पाठक विजय श्री सम्मान से अलंकृत

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गाजीपुर। यश भारती सम्मान से सम्मानित जीवंत व क्रांतिदर्शी पत्रकार विजय कुमार जी की 91 वी जयंती का आयोजन विजय कुमार स्मारक न्यास एवं प्रेस क्लब गाजीपुर के तत्वाधान में लंका मैदान स्थित सभागार में किया गया। समारोह के मुख्य अतिथि जयप्रकाश नारायण विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रोफेसर हरिकेश सिंह ने कहा की विजय बाबू ने स्वतंत्रता संग्राम में संघर्ष किया।। कर्मचारियों के हक की लड़ाई के लिए कानपुर की जेल में बंद रहे ,जिसमें गणेश शंकर विद्यार्थी भी रह चुके थे ।वह लोकसभा व उत्तर प्रदेश की विधानसभा की समीक्षा करने वाले पत्रकार थे। उनका चित्त चिंतन धवल था ,वह मानवता ,मूल्य के विवेचक भी थे ।खेत मजदूर, शोषित ,पीड़ित, किसान नीति के समर्थक थे। जनपद में नंदगंज चीनी मिल और बड़ौदा की सूत मिल बंद होने से काफी मर्माहत थे । मिल खोलने को लेकर के अखिल भारतीय किसान सभा द्वारा चलाए जा रहे आंदोलन को अपनी लेखनी से धार दिया था। वेआध्यात्मिक भी थे लेकिन धर्म का ढोंग नहीं करते थे। प्रवक्ता श्रीकांत पांडे ने कहा विजय बाबू स्वतंत्रता आंदोलन से निकले हुए योद्धा थे बाद में पत्रकारिता में आए ।यह पत्रका

गुणवत्तापूर्ण उच्च शिक्षा और राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन

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मोतिहारी। महात्मा गाँधी केन्द्रीय विश्वविद्यालय के राजनीति विज्ञान विभाग तथा शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास, शोध प्रकल्प, उत्तर बिहार प्रान्त के संयुक्त तत्वावधान में ‘गुणवत्तापूर्ण उच्च शिक्षा और राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020’ विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। डाॅ0 नरेन्द्र कुमार आर्य, सहयुक्त आचार्य ने एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी कार्यक्रम में अतिथियों का स्वागत एवं परिचय के साथ ही कहा कि गुणवत्तापूर्ण उच्च शिक्षा का महत्व राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में विशेष रूप से दिखायी पडता है। तत्पश्चात गौरव पंवार, प्रांत संयोजक शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास (शोध प्रकल्प) द्वारा शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के वर्तमान में किए जा रहे कार्यों का उल्लेख किया एवं वर्तमान में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 एवं आत्मनिर्भर भारत अभियान के बारे में अपने विचार रखें एवं शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के स्थापना एवं उनकी उपलब्धियों पर प्रकाश डाला। संगोष्ठी के सभाध्यक्ष, मुख्य अतिथि, महात्मा गाँधी केन्द्रीय विश्वविद्यालय के माननीय कुलपति प्रो0 आनन्द प्रकाश ने अपने अध्यक्षीय संबोधन में

महात्मा गांधी केन्द्रीय विश्वविद्यालय के राजनीति विज्ञान विभाग ने किया साप्ताहिक संगोष्ठी का आयोजन

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मोतिहारी। महात्मा गांधी केन्द्रीय विश्वविद्यालय के राजनीति विज्ञान विभाग द्वारा साप्ताहिक संगोष्ठी का शुभारंभ किया गया। विश्वविद्यालय के राजनीति विज्ञान विभाग द्वारा शोधार्थियों के बीच नवीन विचारों एवं शैक्षिक अभिवृद्धि को बढ़ावा देने के लिए राजनीति विज्ञान विभाग द्वारा साप्ताहिक संगोष्ठी की शुरुआत की गई। कार्यक्रम को औपचारिक रूप से डॉ0 नरेन्द्र कुमार आर्य, एसोसिएट प्रोफेसर द्वारा शुरू किया गया और यह सूचना दी गई कि प्रत्येक शुक्रवार को विभाग में साप्ताहिक संगोष्ठी का आयोजन किया जाना सुनिश्चित किया गया है। इस कार्यक्रम में विभाग के विद्यार्थियों के साथ-साथ शोधकर्ताओं ने भी श्रीलंका में वर्तमान राजनीतिक-आर्थिक संकट विषय पर चर्चा की। कार्यक्रम का संचालन डॉ0 नरेन्द्र सिंह, सहायक आचार्य के द्वारा किया गया। उन्होंने कहा कि सभी प्रतिभागी स्वतंत्र रूप से अपने विचार व्यक्त करें। जिससे नए विचारों एवं नए अनुभवों का आदान-प्रदान हो सके। सभी प्रतिभागियों ने ज्वलंत मुद्दों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि कोविड-19 महामारी के कारण वहां की प्रतिबंधित पर्यटन सेवाओं के कारण पर्यटन से होने वाली विदे

नीलमणि दरोगा बन जिले का नाम रौशन किया

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  मोतिहारी। मुफस्सिल थाना क्षेत्र रुलही गाँव के छोटे परिवार से निकला नीलमणी कुमार दरोगा बनकर जिले व गांव का नाम रौशन किया है। इसके पिता शंकर दास व माता चंपा दास के तीन संतान में ये बडे़ है। पिता दिल्ली में मजदूरी करते हैं। माँ गृहणी है। इसने मैट्रिक तक कि पढाई गाँव से रहकर गोपाल साह उच्च विद्यालय मोतिहारी से 2006 में, इंटरमीडिएट की पढ़ाई इंटर गवर्नमेंट स्कूल गवर्नमेंट बॉयज सीनियर सेकेंडरी स्कूल न.1 किदवई नगर नई दिल्ली CBSE 2009 में,एवं स्नातक दिल्ली यूनिवर्सिटी 2013 में B.com Honor's हुआ,नीलमणी बचच्पन से मेधावी रहे हैं,इनका अनेक प्रतियोगिता परीक्षाओ में महारत हासिल कि है BSSC मे कर्मचारी के पद पर चयन हुआ है,फिर SSC में स्टेनो के पद पर चयन हुआ, फिर बिहार दारोगा सब इंस्पेक्टर के पद पर चयन हुआ है। बचपन से प्रसासनिक सेवा में जाना चाहते थे। समाज में शिक्षा के प्रति बहुत ज्यादा जागरूक करने का काम करते हैं। प्रतियोगिता परीक्षा के तैयारी करने वाले विधार्थीयो से इनका कहना है कि काक चेष्टा, बको ध्यानं, स्वान निद्रा तथैव च। अल्पहारी, सदाचारी, विद्यार्थी जीवन पंच लक्षणं।। काक चेष्

डिजिटल मीडिया : सिद्धांत और अनुप्रयोग' पुस्तक का कुलपति ने किया लोकार्पण

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दाएं से  कुलपति प्रो. आनंद प्रकाश, विभागाध्यक्ष प्रो. अंजनी कुमार झा, प्रो. परमात्मा कुमार मिश्र, प्रो. सुनील दीपक घोडके व डॉ. सचिदानंद सिंह मोतिहारी। महात्मा गाँधी केंद्रीय विश्वविद्यालय के मीडिया अध्ययन विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. अंजनी कुमार झा एवं सहायक प्रोफेसर डॉ. परमात्मा कुमार मिश्र के संयुक्त संपादन में प्रकाशित पुस्तक 'डिजिटल मीडिया : सिद्धांत और अनुप्रयोग' का लोकार्पण विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. आनंद प्रकाश के कर कमलों द्वारा किया गया। पुस्तक में संपादक द्वय और मीडिया अध्ययन विभाग के शोधार्थियों द्वारा लिखित अध्यायों को शामिल किया गया है। पुस्तक के लोकार्पण पर शुभकामनाएं देते हुए कुलपति प्रो. आनंद प्रकाश ने कहा कि डिजिटल मीडिया के सिद्धांत और अवधारणा पर आधारित यह पुस्तक जनसंचार और पत्रकारिता के पठन-पाठन के क्षेत्र में मील का पत्थर साबित होगी तथा मीडिया अध्येताओं का बेहतर मार्गर्दशन करेगी। उन्होंने कहा कि विभाग के अध्यक्ष डॉ. अंजनी कुमार झा तथा सहायक प्रोफेसर डॉ. परमात्मा कुमार मिश्रा के संयुक्त एवं अथक प्रयासों के परिणामस्वरूप इस पुस्तक की संकल्पना साका

गाँधी की चम्पारण से अपेक्षाएँ

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डॉ श्याम कुमार झा। महात्मा गाँधी ने राजनीतिक जीवन की शुरूआत भारतवर्ष में चम्पारण सत्याग्रह से की थी। चम्पारण सत्याग्रह कोई राजनीतिक आंदोलन  नहीं था। इस सत्याग्रह के माध्यम से गाँधी ने उस समय की शक्तिशाली अंग्रेजी सरकार की जनविरोधी और किसान विरोधी नीतियों का पुरजोर विरोध कर पहली बार देश के नेताओं को इस बात का एहसास करवाने का कार्य  किया था कि सत्ता चाहे कितनी ही शक्तिशाली या निरंकुश क्यों न हो, जब आम जनता अपनी न्यायोचित समस्याओं को लेकर सड़कों पर उतरती है तो सरकार को उसके सामने झुकना पड़ता है। गांधी ने 18 अप्रैल, 1917 को कोर्ट के आदेश पर न्यायालय में उपस्थित होकर अपना पक्ष रखा और जमानत की राशि भरने से भी इनकार कर दिया। यद्यपि गाँधी को चम्पारण आए हुए तब केवल तीन दिन ही हुए थे, किन्तु उनकी सदिच्छा ने गुलामी की दास्ताँ झेल रहे भारतीय जनमानस को जैसे झकझोर कर रख दिया था। उनके पीछे जनता की फौज खड़ी थी और इसकी आहट न्यायालय के साथ कहीं न कहीं ब्रिटिश प्रशासन के कानों तक भी पहुँच चुकी थी, परिणामस्वरूप ब्रिटिश शासन को बिना जमानत की राशि चुकाए ही गाँधी को छोड़ना पड़ा। विचारणीय विषय यह

संस्कृत विभाग में पी-एच्.डी-सत्र २०२२ में नामांकन कार्य हुआ सम्पन्न

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मोतिहारी। महात्मा गाँधी केन्द्रीय विश्वविद्यालय, मोतिहारी बिहार के संस्कृत विभाग में पी-एच्.डी में प्रवेश हेतु साक्षात्कार एवं नामांकन प्रक्रिया ६ व ७ जुलाई, २०२२ को सम्पन्न हुई। पी-एच्. डी. में लिखित परीक्षा उत्तीर्ण कर साक्षात्कार हेतु जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, नई दिल्ली, इलाहाबाद विश्वविद्यालय, प्रयागराज, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी, विश्वभारती विश्वविद्यालय,पश्चिम बंगाल, वर्धमान विश्वविद्यालय,वर्धमान, एवं अन्यान्य राज्यों के  विश्वविद्यालयों से विद्यार्थीगण सम्मिलित हुए। लिखित परीक्षा तथा साक्षात्कार में अच्छा प्रदर्शन करने वाले विद्यार्थियों ने अन्तिम रूप से चयनित सूची में अपना स्थान बनाया। इलाहाबाद विश्वविद्यालय के परास्नातक छात्र गोपाल कृष्ण मिश्र ने सर्वोच्च अंक प्राप्त कर अनारक्षित वर्ग की मेरिट सूची में प्रथम स्थान प्राप्त किया। विश्वभारती विश्वविद्यालय, पश्चिम बंगाल के छात्र सुखेन घोष ने मेरिट सूची में द्वितीय स्थान प्राप्त किया। महात्मा गाँधी केन्द्रीय विश्वविद्यालय के संस्कृत विभाग के एम.फिल्. छात्र सत्येन वर्मन् ने तृतीय स्थान प्राप्त किया। पश्चिम भ

आईसीसीएसआर डॉक्टोरल फेलोशिप के लिए मगांकेविवि से सात शोधार्थियों का चयन

मोतिहारी। महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय मोतिहारी के मीडिया अध्ययन विभाग के सर्वाधिक तीन शोधार्थियों सहित  प्रबन्ध विज्ञान, राजनीति विज्ञान और पुस्तकालय विज्ञान विभाग के कुल सात शोधार्थियों ने एक बार फिर से शोध व गुणवत्ता के क्षेत्र में अपनी प्रतिभा का परचम लहराया है। भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद द्वारा पी- एच. डी. शोधार्थियों को दी जाने वाली डॉक्टोरल फेलोशिप के लिए घोषित परिणामों में अखिल भारतीय स्तर पर चयनित 15 शोधार्थियों में से तीन शोधार्थी एमजीसीयूबी के मीडिया अध्ययन विभाग के शोधार्थी है।          आई. सी. सी. एस. आर. द्वारा चयनित शोधार्थियों में विभाग के रजनीश कुमार त्रिपाठी जो सहायक आचार्य डॉ सुनील दीपक घोड़के के निर्देशन में 'अनुच्छेद 370 मुक्त कश्मीर: राष्ट्रीय प्रिंट मीडिया की भूमिका एवं प्रभाव का अध्ययन' (दैनिक जागरण व अमर उजाला समाचार पत्रों के विशेष संदर्भ में ) विषय पर शोध कार्य कर रहे है। वही शोभित सुमन और सौविक आचार्य विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ अंजनी कुमार झा के निर्देशन में शोधरत है। शोभित सुमन का शोध विषय 'अटल बिहारी वाजपेयी की पत्रकारिता में

दैनिक भास्कर पटना में बतौर रिपोर्टर पुष्कर का चयन

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मोतिहारी।  महात्मा गांधी केंद्रीय विश्विद्यालय के मीडिया अध्ययन विभाग में बैच 2019-2021 के छात्र पुष्कर कुमार का पटना के प्रतिष्ठित मीडिया संस्थान दैनिक भास्कर में बतौर रिपोर्टर चयन हुआ है। इस खुशी के अवसर पर मीडिया अध्ययन विभाग की ओर से परिचय सह बधाई कार्यक्रम का आयोजन किया गया।  कार्यक्रम की अध्यक्षता मीडिया अध्ययन विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ अंजनी कुमार झा ने की। डॉ झा ने कहा कि पुष्कर सीखने के लिए हमेशा अग्रसर रहने वाला छात्र है। वह मोतिहारी, पटना दिल्ली एवम् अन्य स्थानों के मीडिया संस्थानों में प्रशिक्षण ले चुका है। यही सीखने की प्रवृति पुष्कर को आज इस मुकाम पर लायी है। पत्रकारिता के क्षेत्र में पुष्कर अच्छा करें ऐसी मेरी शुभकामनाएं है।   विभाग के सहायक आचार्य डॉ. परमात्मा कुमार मिश्र ने पुष्कर को बधाई देते हुए कहा कि पत्रकारिता जनसेवा का सर्वोत्तम माध्यम है। पुष्कर की सादगी, विनम्रता तथा सदैव सीखने की ललक उसे इस क्षेत्र में प्रगति करने में सहायक होगी।  डॉ. साकेत रमण ने कहा कि पुष्कर का अपने कार्य के प्रति गहरी रुचि और बड़ों को आदर-सम्मान देने का भाव उत्कृष्ट है। जो उसे पत

बुद्ध और गांधी का चम्पारण: अतीत और वर्तमान

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(डॉ श्याम कुमार झा)। बिहार के चम्पारण संभाग में दो जिलें स्थित  है। पूर्वी चंपारण जिले का मुख्यालय मोतिहारी और पश्चिम  चम्पारण का बेतिया है। गाँधीजी ने 1917 में यहीं से नील की खेती व अंग्रेजों के अत्याचारी शासन के खिलाफ सशक्त चम्पारण आन्दोलन  की शुरुआत की थी। मोतिहारी की विशेषता है कि यहाँ विविध सम्प्रदायों के लोग आपस में परस्पर भाईचारे के साथ रहते हैं ।ग्रामीण आबादी मुख्य रूप से कृषि पर निर्भर है। ऐसे तो बिहार के अन्य शहरों की तरह यहाँ भी चीनी मिल हुआ करता था, लेकिन बरसों से मिल के बंद होने के कारण अगर छोटे-मोटे प्लाईवुड एवं चावल के मिलों को छोड़ दें, तो मोतिहारी एवं आसपास के इलाके में कोई बड़ा उद्योग नहीं है।अतः बिहार के दूसरे जिलों की तरह यहाँ की भी अधिसंख्य आबादी दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, गुजरात,मुम्बई तथा दक्षिण भारत के विभिन्न हिस्सों में जाकर रोजी रोटी के लिए प्रवास करती है। बिहार की अपनी एक विशिष्ट सांस्कृतिक विरासत रही है। स्वतन्त्रता आंदोलन में बिहार की  विशेष भूमिका थी। बाबू वीर कुंवर सिंह के बाद चम्पारण आंदोलन के गांधीजी के सहकर्मी सत्याग्रही डॉ राजेंद्र प्रसाद,