देवेंद्र दीपक के साहित्य में जीवन दर्शन की भरमार: प्रो. अरुण कुमार भगत

महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय के प्रोफेसर अरुण कुमार भगत ने कहा कि समाज को 'पानी से नहाया हुआ व्यक्ति स्वच्छ होता है और पसीने से नहाया व्यक्ति पवित्र होता है।' और 'अपनी कलम से खाई नहीं कुआँ खोदो, ताकि लोगों की प्यास बुझे।' नई दिल्ली। 'डॉ. देवेंद्र दीपक के साहित्य में सूक्तियों की भरमार है। इन सूक्तियों में जीवन-दर्शन छिपा हुआ है। इनपर बड़े स्तर पर शोध होना चाहिए। उनकी रचना या लेखन में सांस्कृतिक और सामाजिक उन्मेष के साथ-साथ सामाजिक समरसता है।' ये बातें बिहार लोकसेवा आयोग के सदस्य और महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय के प्रोफेसर (डॉ. ) अरुण कुमार भगत ने कहीं। उन्होंने कहा कि समाज को 'पानी से नहाया हुआ व्यक्ति स्वच्छ होता है और पसीने से नहाया व्यक्ति पवित्र होता है।' और 'अपनी कलम से खाई नहीं कुआँ खोदो, ताकि लोगों की प्यास बुझे।' जैसे विचार देनेवाले डॉ. दीपक निश्चित ही काव्य-पुरुष हैं। उक्त वक्तव्य उन्होंने इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र द्वारा वरिष्ठ साहित्यकार, राष्ट्र-चिंतक एवं काव्य-पुरुष डॉ. देवेन्द्र दीपक ...