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Showing posts from March, 2024

मीडिया ट्रायल और डिजिटल साक्ष्य का महत्व सबसे अधिक : प्रो. प्रशांत

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भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 पर केविवि में संगोष्ठी आयोजित मोतिहारी । मीडिया अध्ययन विभाग महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय द्वारा भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 और मीडिया विषयक संगोष्ठी का आयोजन ऑनलाइन माध्यम से किया गया ।  कार्यक्रम के संरक्षक विश्वविद्यालय के माननीय कुलपति प्रो. संजय श्रीवास्तव रहे । वहीं कार्यक्रम की अध्यक्षता मीडिया अध्ययन विभाग के अध्यक्ष प्रो. अंजनी कुमार झा ने की । मुख्य वक्ता के तौर पर इंस्टीट्यूट ऑफ लीगल स्टडीज, एसआरएम विश्वविद्यालय लखनऊ के सहायक प्राध्यापक डॉ. प्रशांत कुमार श्रीवास्तव व विशिष्ट वक्ता सहायक प्राध्यापक डॉ. महेन्द्र कुमार उपस्थित रहे ।  स्वागत उद्बोधन देते हुए मीडिया अध्ययन विभाग के सहायक आचार्य एवं कार्यक्रम संयोजक डॉ. साकेत रमण ने मीडिया ट्रायल और डिजिटल साक्ष्य जैसे विषयों पर चर्चा की। साक्ष्य अधिनियम के माध्यम से मीडिया ट्रायल को नया आयाम मिला है। कार्यक्रम के विशिष्ट वक्ता डॉ. महेंद्र कुमार ने मीडिया को लोकतंत्र का चौथा स्तंभ बताया । उन्होंने कहा कि मीडिया समाज में सकारात्मकता लाने का काम करती है तथा कानूनों के अनुपालन में इसका

न्याय संहिता में भारत शब्द समागम और एकात्मकता का प्रतीक : प्रो. शाही

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- केविवि के मीडिया अध्ययन विभाग में व्याख्यान आयोजित   मोतिहारी । मीडिया अध्ययन विभाग महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय द्वारा भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता - 2023 के विविध आयाम विषयक संगोष्ठी का आयोजन ऑनलाइन माध्यम से किया गया ।  कार्यक्रम के संरक्षक विश्वविद्यालय के माननीय कुलपति प्रो. संजय श्रीवास्तव रहे । वहीं कार्यक्रम की अध्यक्षता मीडिया अध्ययन विभाग के अध्यक्ष प्रो. अंजनी कुमार झा ने की । मुख्य वक्ता के तौर पर स्कूल ऑफ लॉ, केआईआईटी विश्वविद्यालय भुवनेश्वर के वरिष्ठ सहायक प्राध्यापक डॉ. सर्वेश कुमार शाही व विशिष्ट वक्ता स्कूल ऑफ स्कूल, बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के डॉ. केशरीनंदन शर्मा उपस्थित रहे ।  स्वागत उद्बोधन देते हुए मीडिया अध्ययन विभाग के सहायक आचार्य एवं कार्यक्रम संयोजक डॉ. साकेत रमण ने कहा कि भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 के माध्यम से भारतीयों पर अंग्रेजी हुकूमत द्वारा थोपे गए कानूनों से स्वतंत्रता प्रदान करती है। आईपीसी को न्याय संहिता से स्थानांतरित कर न्याय व्यवस्था को नया आयाम देने का काम किया गया है । कार्यक्रम के विशिष्ट वक्ता डॉ. केशरीनंदन शर्म

डिजिटल और तकनीकी प्रगति से पुस्तकालय समृद्ध- प्रो. संजय श्रीवास्तव

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मोतिहारी। महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय के पुस्तकालय एवं सूचना विज्ञान विभाग, संगणक विज्ञान, सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी संकाय द्वारा द्वि-दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी 'डिजिटल एंड टेक्नोलॉजिकल एडवांसमेंट फ़ॉर सस्टेनेबल लाइब्रेरीज' विषय पर बनकट स्थित बुद्ध परिसर के बृहस्पति सभागार में आयोजित हुई।  संगोष्ठी की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. संजय श्रीवास्तव ने की और मुख्य अतिथि प्रो. के. एल. महावर थे, विभागाध्यक्ष , पुस्तकालय विज्ञान विभाग, बाबा साहेब भीम राव अम्बेडकर केंद्रीय विश्वविद्यालय, लखनऊ थे। स्वागत संगोष्ठी के आयोजन सचिव प्रो. रंजीत कुमार चौधरी ने की। अध्यक्षीय उद्बोधन में कुलपति प्रो. संजय श्रीवास्तव ने कहा कि तकनीकी के निरंतर विकास और परिवर्तन से पुस्तकालयों को उसके अनुरूप ढालने की चुनौती बढ़ गई है। आज ई-लाइब्रेरी की अवधारणा तेजी से फलीभूत हुआ। डिजिटल और तकनीकी प्रगति से पुस्तकालय समृद्ध हुई है लेकिन शिक्षकों, शोधार्थियों और विद्यार्थियों को उसके सुविधा के अनुरूप सामग्री उपलब्ध कराना आवश्यक है।  मुख्य अतिथि प्रो. के. एल. महावर ने कहा कि डिजि

विश्वबंधुत्व के लिए भाषा नहीं भावों की आवश्यकता होती है : प्रो. पवन शर्मा

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मोतिहारी। महात्मा गाँधी केन्द्रीय विश्वविद्यालय के शैक्षिक अध्ययन विभाग शिक्षा संकाय द्वारा दो दिवसीय नेशनल कान्फेंस ग्लोबल वेळ बीइंग @ग्लोबल सिटिज़नशीप विषय पर आयोजित की गयी। जिसके समापन सत्र  का शुभारम्भ अतिथियों द्वारा दीप प्रज्वलन सह माल्यार्पण एवं सरस्वती वन्दना के द्वारा किया गया | तत्पश्चात कार्यक्रम में स्वागत वक्तब्य सह विषय परिवर्तन संकायाध्यक्ष प्रो.आशीष श्रीवास्तव के द्वारा किया गया। तदुपरांत विश्वविद्यालय के माननीय कुलपति प्रो. संजय श्रीवास्तव का आशीर्वाद वचन के रूप में सानिद्ध प्राप्त हुआ| उन्होंने कहा कि वैश्विक नागरिकता इस दौर की मांग है |तदुपरांत समापन सत्र के विशिष्ट अतिथि प्रो. पवन शर्मा( चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय मेरठ) का सानिध्य प्राप्त हुआ,  जिसमे उन्होंने कहा कि भारतीय ज्ञान परम्परा विश्वबंधुत्व में विश्वास करती है जो एक सांस्कृतिक अवधारणा है,नागरिकता राजनैतिक संकल्पना है जो अर्जित की जाती। विश्वबंधुत्व एवं नागरिकता के अंतर को समझना होगा , विश्वबंधुत्व के लिए भाषा नहीं भावों की आवश्यकता होती है |तत्पश्चात कार्यक्रम के मुख्य अतिथि  प्रो. पवन सिन्हा

भारत वैश्विक नागरिकता की भावना का सदैव पक्षधर- प्रो. जेपी लाल

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मोतिहारी। महात्मा गाँधी केन्द्रीय विश्वविद्यालय के शैक्षिक अध्ययन विभाग शिक्षा संकाय द्वारा दो दिवसीय नेशनल कान्फेंस 'ग्लोबल वेळ बीइंग @ग्लोबल सिटिज़नशिप इन द वर्चुअल वर्ल्ड' विषय पर आयोजित की गयी | कार्यक्रम का शुभारम्भ अतिथियों द्वारा दीप प्रज्वलन सह माल्यार्पण एवं सरस्वती वन्दना के द्वारा किया गया | तत्पश्चात कार्यक्रम में स्वागत वक्तब्य सह विषय परिवर्तन संकायाध्यक्ष प्रो.आशीष श्रीवास्तव के द्वारा किया गया | जिसमे उन्होंने कहा कि वैश्विक नागरिकता समाज की मांग है | जिसकी वकालत राष्ट्रीय शिक्षा नीति २०२० भी करती है | उनके द्वारा इस विषय पर प्रकाश डाला गया की कैसे राष्ट्रीय शिक्षा नीति इस मांग को पूरा कर रही है | तदुपरांत मुख्य अतिथि प्रो. जे. पी. लाल (कुलाधिपति केन्द्रीय विश्वविद्यालय झारखण्ड) का सानिध्य प्राप्त हुआ | जिसमें उन्होंने कहा कि भारत वैश्विक नागरिकता की भावना का हमेशा पक्षधर रहा है | उन्होंने आगे कहा कि भारत की सभ्यता रही है वह केवल धर्म जाति आदि का प्रचार नही किया ,बल्कि वह मानव को श्रेष्ट बनाने का पुष्टि करता है| तत्पश्चात कार्यक्रम के मुख्य वक्ता प्र

भारतीय संस्कृति, संस्कृत और योग में निहित है विश्व कल्याण की भावना : डॉ. भूषण कुमार उपाध्याय

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मोतिहारी। महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय के मानविकी एवं भाषा संकाय के द्वारा 'संस्कृत - संस्कृति एवं योग' विषय पर विशिष्ट व्याख्यान आयोजित किया गया । इस व्याख्यान में अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो० संजय श्रीवास्तव ने किया तथा  मुख्यवक्ता महाराष्ट्र के पूर्व पुलिस महानिदेशक डॉ भूषण उपाध्याय रहे । मानविकी एवं भाषा संकायाध्यक्ष प्रो० प्रसून दत्त सिंह ने अतिथियों का स्वागत वक्तव्य दिया, आपने कहा कि आज के मुख्यातिथि एवं वक्ता महाराष्ट्र के पूर्व पुलिस महानिदेशक डॉ भूषण कुमार उपाध्याय जी संस्कृत विषय के विशिष्ट अध्येता रहे हैं । आपने संस्कृत और योग का विशिष्ट अध्ययन किया है और इन विषयों पर शोध करने के साथ ही प्रसिद्ध पुस्तकों का लेखन भी किया है । आपकी उपस्थिति से विश्वविद्यालय कृतकृत्य हो गया है । तदनन्तर समस्त समागत अतिथियों एवं विश्वविद्यालय के प्राचार्यों और छात्रों का समेकित स्वागत करते हुए इस व्याख्यान के विषय "संस्कृत, संस्कृति और योग" की प्रस्तावना रखी।  मुख्यवक्ता डॉ भूषण कुमार उपाध्याय जी ने कहा कि भारतीय संस्कृति सभी समुदाय के लोगों की