महामहिम राष्ट्रपति डॉ० के०आर० नारायणन के बारे में रोचक बातें

Story
 देश के पहले दलित राष्ट्रपति थे। उनका सम्पूर्ण जीवन सघर्ष से भरा हुआ था। वे केरल के एक गांव में फूस की झोपड़ी में 1920 में पैदा हुए। उनके पिता आयुर्वेदिक औषधिओं के ज्ञाता थे, इसी से वे अपना परिवार चलाते थे। गरीबी इतनी भयंकर कि 15 किमी. दूर सरकारी स्कूल में पैदल पढ़ने जाते थे। कभी-कभी फीस न होने पर उन्हें कक्षा से बाहर खड़ा होना पड़ता था। उन्होंने लंदन स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स में पढ़ाई की। ज़ब वह भारत लोटे तो उनके प्रोफेसर ने एक पत्र भारत के प्रधान मंत्री जवाहर लाल के नाम उन्हें दिया उस पत्र में उनकी प्रतिभा का उल्लेख था। चूंकि उन्होंने तीन वर्ष का कोर्स 2 साल में विशेष योग्यता के साथ पास किया था। ज़ब वह पत्र उन्होंने नेहरू जी को दिया तो नेहरू जी ने उन्हें राजदूत नियुक्त कर दिया। सेवानिवृत होने पर उन्हें जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय का कुलपति बनाया गया। एक बार वे उप राष्ट्रपति रहे। उसके बाद वे भारत के दसवें एवं पहले दलित राष्ट्रपति बने।

1. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को बिना हस्ताक्षर किये फाइल यह कहते हुए वापस कर दी कि 10 न्यायाधीशों के इस पेनल में एक भी S.C./S.T. का जज क्यों नहीं है। उनके तेवर देखकर सरकार में हड़कंम मच गया तब जा कर मुख्य न्यायाधीश के.जी. बालकृष्णन को बनाया गया। जो अनुसूचित जाति के पहले भारत के मुख्य न्यायाधीश बने। इस व्यवस्था को Sc. St. Obc के लोग भूल नहीं सकते। ये भी केरल के ही थे।
2. दूसरा कड़ा कदम ज़ब उठाया तब वाजपेयी सरकार ने सावरकर को भारत रत्न देने के प्रस्ताव को वापस कर दिया !
3. तीसरा कड़ा कदम ज़ब उठाया तब वाजपेयी सरकार ने उत्तर प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगाने का प्रस्ताव ख़ारिज कर दिया।

ऐसे महामहिम की आज जरूरत है !
ऐसे महान पुरुषों को उत्तर भारत के sc. St. Obc. के लोग जानते तक नहीं !

लोगों द्वारा समाज में यह भ्रम फैलाया गया है कि दलित लोग शिक्षा के लायक नहीं थे, जबकि संविधान सभा में 14 महिलाएं ग्रेजुऐट थी एक sc. की महिला ग्रेजुएट थी।
हजारों लोग ब्रिटिश शासन में उच्च शिक्षित थे।
दूसरे महामहिम राष्ट्रपति डॉ, सर्वपल्ली राधा कृष्णन जिनके नाम से शिक्षक दिवस मनाया जाता है। वे तथा डॉ केआर नारायणन सभी अंग्रेओ के इंग्लिश माध्यम में पढ़े थे।
#महामहिम राष्ट्रपति डॉ० केआर नारायणन जी ने सन 1948 में अंग्रेजी साहित

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