जिले भर में बाल संरक्षण प्रणाली को मजबूत करने में हितधारकों की भूमिका पर संगोष्ठी का हुआ आयोजन
बच्चों के सर्वोत्तम हितों के बारे में संगोष्ठी में विस्तृत चर्चा की गई।
मोतिहारी (सिद्धान्त गुप्ता)। बाल विवाह, बाल श्रम और बाल व्यापार पर अंकुश लगाने के लिए सरकारी विभाग सिविल सोसाइटी और जनप्रतिनिधियों का बेहतर तालमेल जरूरी है उक्त बातें किशोर न्याय परिषद के प्रधान न्यायाधीश कुणाल किशोर ने कही।
उन्होंने आज मोतिहारी के एक निजी होटल में बाल संरक्षण इकाई व सेव द चिल्ड्रेन के संयुक्त तत्वावधान में *बाल संरक्षण प्रणाली को मजबूत करने में स्टेकहोल्डर की भूमिका पर एक संगोष्ठी* के आयोजन में मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए प्रिंसिपल मजिस्ट्रेट ने कहा कि विद्यालय स्तर पर और गांव के छोटे-छोटे समूह में बाल विवाह और बाल श्रम को रोकने के लिए प्रयास की जानी चाहिए।
इस कार्यक्रम की अध्यक्षता सहायक निदेशक बाल संरक्षण इकाई पूर्वी चंपारण, धीरज कुमार और संचालन सेव द चिल्ड्रन के प्रोग्राम मैनेजर पीयूष कुमार ने किया।
इस अवसर पर सेव द चिल्ड्रेन के के पीयूष कुमार ने कार्यक्रम की रूप रेखा प्रस्तुत करते हुए बाल श्रम और बाल विवाह से संबंधित अकड़ा प्रस्तुत करते हुए कहा कि पूर्वी चंपारण जिला बाल विवाह के मामलों में सर्वाधिक 10 जिलों में शामिल है जो नेशनल फैमिली हेल्थ सर्विस की रिपोर्ट के अनुसार है यह काफी चिंता की बात है।
सेव द चिल्ड्रचिल्ड्रेन द्वारा आयोजित संगोष्ठी का उद्घाटन मुख्य अतिथि प्रिंसिपल मजिस्ट्रेट, सहायक निदेशक बाल संरक्षण इकाई, श्रम अधीक्षक, जिला जनसंपर्क पदाधिकारी ,श्रम प्रवर्तन पदाधिकारी, सहायक प्राचार्य महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय सहित अन्य लोगों ने सामूहिक रूप से दीप प्रज्वलित कर किया गया।
वहीँ इस बैठक में शिवेंद्र कुमार निशस्ता पदाधिकारी ,श्रम अधीक्षक राकेश रंजन, डीपीआरओ गुप्तेश्वर कुमार ,कमांडेंट होमगार्ड अशोक कुमार, श्रम प्रवर्तन पदाधिकारी जुली कुमारी सहित अन्य अधिकारियों ने ने बताया कि ,किशोर किशोरी समूह का गठन जरूरी है ताकि किशोर एवं किशोरियों में नेतृत्व, आत्मविश्वास और क्षमता का विकास हो सके ।
वास्तविक एवं सामाजिक परिस्थितियों का सामना करने में उनका व्यावहारिक हल ढूंढ सके, और बाल विवाह एवं दहेज प्रथा के दुष्परिणामों एवं उसके कानूनी प्रावधानों के बारे में उपाय बताए।
इस अवसर पर सेव द चिल्ड्रेन के प्रोग्राम मैनेजर पीयूष कुमार ने विषय प्रवेश कराते हुए कहा कि इस संगोष्ठी का मूल उद्देश्य जिला स्तरीय घटकों के बीच समन्वय स्थापित करना और बाल संरक्षण, बाल सुरक्षा के संदर्भ में जो कानून एवं अधिनियम बने हैं उसका सही ढंग से अनुपालन कराना एवं क्रियान्वयन कराना है।
उन्होंने कहा कि बिहार में कुल आबादी का 46% बच्चे हैं इसमें बाल संरक्षण से जुड़े संस्थाओं की जिम्मेदारी और भी बढ़ जाती है।
उन्होंने कहा कि बच्चों से संबंधित जो योजनाएं बने हैं उसका सीधा लाभ बच्चे और उसके परिवार को मिले इसके लिए सभी स्टेकहोल्डर की बहुत बड़ी जिम्मेवारी है, तभी हम बाल विवाह , बाल श्रम को हम रोक सकते हैं।
सेव द चिल्ड्रन के प्रवाह मैनेजर पीयूष कुमार ने इस संगोष्ठी में कहा कि सहायक निदेशक बाल संरक्षण इकाई पूर्वी चंपारण के नेतृत्व में जिला एक्शन प्लान बनाया जाना है इस में सभी हित धारकों की भूमिका अहम होगी।
इस संगोष्ठी में न्याय परिषद के प्रिंसिपल मजिस्ट्रेट कुणाल किशोर,कमांडेंट होमगार्ड अशोक कुमार, महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय के आचार्य रस्मिता राय,श्रम प्रवर्तन पदाधिकारी जुली कुमारी , जिला बाल संरक्षण पदाधिकारी राकेश कुमार रंजन,सहायक निदेशक धीरज कुमार,सूचना एवं जन सम्पर्क पदाधिकारी गुप्तेश्वर कुमार, जैजी बी के सदस्य रागिनी कुमारी,
सेव द चिल्ड्रेन से पीयूष कुमार, हामिद रज़ा, राजनाथ प्रसाद,कृष्णा कुमार, सुमन कुमार, जितेंद्र कुमार सिंह, मधु सिंह दिग्विजय कुमार , बाल गृह बालिका गृह के अधीक्षक ने अपनी बात रखी ।
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