संस्कार में कमी से यौन उत्पीड़न की घटनाओं में हुई वृद्धि-प्रो. आनंद प्रकाश
वाद-विवाद प्रतियोगिता में प्रथम माधुरी सिंह, द्वितीय विकास कुमार सिंह एवं संकल्प कुमार और तृतीय कनई सरकार स्थान पर विजयी
मोतिहारी। आंतरिक शिकायत प्रकोष्ठ, महात्मा गाँधी केंद्रीय विश्वविद्यालय, बिहार के तत्वावधान में 'यौन उत्पीड़न अधिनियम-2013' अधिसूचना की आठवीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में वाद-विवाद प्रतियोगिता का आयोजन किया गया।
स्वागत करते हुए प्रो.शहाना मजूमदार, प्रधान अधिकारी, आंतरिक शिकायत प्रकोष्ठ ने विश्वविद्यालय द्वारा गठित 'आंतरिक शिकायत प्रकोष्ठ' की कार्यप्रणाली एवं सदस्यों की जानकारी सभी से साझा की।
सह-आचार्य, राजनीति विज्ञान विभाग, समन्वयक- वैदेही महिला अध्ययन केंद्र की डॉ. सरिता तिवारी ने कहां यौन उत्पीड़न विषय को बोलने में कहीं ना कहीं हमारी जिह्वा अभी भी लड़खड़ाती हैं। यह एक संवेदनशील विषय है। क्योंकि आज भी जेंडर की समस्या है। डॉ.तिवारी ने कहा कि यौन उत्पीड़न कानून की समस्या नहीं है। यह नैतिक समस्या है। हम सभी लोगों को समाज के निर्माण में सहयोग देने की आवश्यकता है।
चाणक्य परिसर निदेशक एवं डीएसडब्ल्यू प्रो. आनंद प्रकाश आचार्य- जैव प्रौद्योगिकी ने कहा कि कानून भ्रष्टाचार को मिटाने के लिए बनता है। पहले भी ऐसा अपराध होता था, इसीलिए कानून बनाने की आवश्यकता पड़ी। उन्होंने कहा दोनों पक्षों की बातों पर गौर करना चाहिए। यह कानून सिर्फ महिलाओं के लिए नहीं है, यह पुरुषों के लिए भी लागू होता है। हमारे संस्कार में कमी है तभी ऐसे लोग इस दुनिया में पनपते हैं। यौन उत्पीड़न जैसी घटनाओं को अंजाम देने से पहले हमें उसका भय होना चाहिए ताकि हम ऐसा कदम ना उठा सके। इस कानून में बहुत कुछ जोड़ना और हटाना अभी बाकी है।
अधिष्ठाता मानविकी एवं भाषा संकाय समन्वयक- लोक कला एवं संस्कृति निष्पादन केंद्र के प्रो. राजेंद्र सिंह ने कहां की इस बड़े देश में इस कानून की अत्यधिक जरूरत है और इसके प्रति जागरूकता फैलाने की भी आवश्यकता है। इस तरह के विषय को हमारे पाठ्यक्रम में रखने की आवश्यकता है। इस तरह के कानून में हमें सहयोग देने की भी जरूरत है।
अधिष्ठाता जैविक विज्ञान संकाय के प्रो. ए.पाल ने कहा हर मनुष्य के साथ कुछ ना कुछ घटित होता ही है। लेकिन गलत काम करने से पहले सौ बार सोचने की आवश्यकता है। हमें उसका एहसास होना चाहिए ताकि हम किसी भी प्रकार का दुस्साहस ना कर सके।
विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों से विद्यार्थियों, शोधार्थियों ने विषय के पक्ष और विपक्ष में अपनी बात रखी। प्रस्तुतियों का मूल्यांकन प्रो.आनंद प्रकाश, प्रो.राजेन्द्र सिंह, प्रो.आर्त्रत्राण पाल एवं डॉ. सरिता तिवारी ने किया। प्रतियोगिता परिणाम घोषणा डॉ. प्रीति बाजपेयी, प्रकोष्ठ सदस्य,धन्यवाद ज्ञापन डॉ. सपना सुगंधा, प्रकोष्ठ सदस्य एवं कार्यक्रम का संचालन शबनम कुमारी, जेंडर चैंपियन ने किया। कार्यक्रम संयोजन में जेंडर चैंपियन रश्मि सिंह, बैकुंठ कुमार यादव व मुस्कान जायसवाल की भूमिका सराहनीय रही। वाद-विवाद प्रतियोगिता में प्रथम स्थान पर माधुरी सिंह (बी. टेक.), द्वितीय विकास कुमार सिंह एवं संकल्प कुमार (एम. फिल.) और तृतीय कनई सरकार विजयी रहे।
कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों के शिक्षक, अधिकारी, छात्र एवं छात्राओं की उपस्थिति रही।
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