संस्कृत विभाग ने दी पद्मश्री रमाकान्त शुक्ल को श्रद्धांजलि

संस्कृत जगत् के दो मूर्धन्य विद्वानों प्रो. रमाकान्त शुक्ल एवं प्रो. भागीरथ प्रसाद त्रिपाठी ‘वागीश शास्त्री’  का देहावसान होना संस्कृत जगत् में अपूरणीय क्षति है। इन दोनों महान्  विभूतियों को श्रद्धांजलि देने हेतु महात्मा गांधी केन्द्रीय विश्वविद्यालय के संस्कृत विभाग द्वारा संकायाध्यक्ष  प्रो. प्रसून दत्त सिंह के निर्देशन में शोक सभा का आयोजन किया गया। संस्कृत एवं हिन्दी जगत् में ख्यातिलब्ध दोनों विद्वानों एवं उनके योगदानों का उल्लेख करते हुए संकायाध्यक्ष प्रो. प्रसून दत्त सिंह ने बताया कि ये दोनों विद्वान अपनी अमरकृतियों से ही अमर रहेंगे। प्रो. सिंह ने बताया कि आचार्य रमाकान्त शुक्ल ज्ञानवृद्ध होने के साथ साथ अत्यंत ही उदार प्रवृति के थे। उनका व्यक्तित्व अत्यंत ही सरल, सहज और सौम्य था। वे संस्कृत एवं हिन्दी जगत् में अपनी कृतियों के साथ ही अपने व्यक्तित्व के कारण भी समादृत हुए। 
         विभाग के सह-आचार्य डॉ. श्याम कुमार झा ने  प्रो. रमाकान्त शुक्ल एवं वागीश शास्त्री के भौतिक शरीर छोड़ने पर अपनी विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित की तथा प्रो. रमाकान्त शुक्ल को स्मरण करते हुए उनकी कालजयी रचना  'भाति मे भारतम्' का सस्वर गायन कर उनकी आत्मा की शान्ति के लिए प्रार्थना की। विभाग  के सह-आचार्य डॉ. अनिल प्रताप गिरि ने भी दोनो दिवंगत आत्माओं के प्रति अपनी विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित की। दोनो विभूतियों का अचानक जाना संस्कृत जगत् की अपूरणीय क्षति बताते हुए संस्कृत विभाग के सह आचार्य डॉ. गिरि ने कहा कि ये दोनो विभूतियां दो परम्पराओं के संवाहक थे। एक काशी के विद्वत् परम्परा के स्वनामधन्य विद्वान थे तो दूसरे दिल्ली के वैदुष्य परम्परा के संवाहक थे। उन्होंने कहा कि प्रो. शुक्ल मूलरूप से हिन्दी के आचार्य थे किंतु उनकी पारिवारिक पृष्ठभूमि संस्कृतमय होने के कारण ही उन्होंने संस्कृत जगत् में अपना योगदान दिया और 'भाति मे भारतम्' जैसी कालजयी कृति की रचना की। उन्होंने बताया कि प्रो. शुक्ल का 'भाति  मे भारतम्' ग्रन्थ इतना अधिक प्रसिद्ध हुआ कि रचना काल के दो वर्ष के पश्चात् ही विभिन्न पाठ्यक्रमों मे स्थान प्राप्त किया।
         इस शोक सभा में विभाग के अन्य शिक्षक गण डॉ. विश्वेश वाग्मी , डॉ. बब्लू पाल तथा संस्कृत विभाग के छात्र और शोधच्छात्र उपस्थित होकर दिवंगत दोनो विभूतीयों को अपनी विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित की। दिवंगत आत्मा की शान्ति के लिए दो मिनट का मौन धारण कर इस शोक सभा का समापन किया गया। 

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