शिक्षकों में डिजिटल कौशल का होना समय की मांग: प्रो. के श्रीनिवास
मोतिहारी। स्कूल ऑफ एजुकेशन, महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय, पूर्वी चंपारण, बिहार द्वारा दो दिवसीय (18 और 19 मई, 2023 को) कार्यशाला का आयोजन ऑफलाइन मोड में किया गया। जिसका विषय मैसिव ओपन ऑनलाइन कोर्स (मुक्स) एवं स्टडी बेब्स ऑफ़ एक्टिव लर्निंग फॉर यंग अस्पिरिंग माइंडस (स्वयम) था। कार्यशाला ऑनलाइन मोड में भी 30 दिनों तक संचालित होगी।
कार्यशाला का शुभारंभ अतिथियों के दीप प्रज्ज्वलन से हुआ। उद्घाटन समारोह की अध्यक्षता कुलपति प्रो. संजय श्रीवास्तव ने की। विशिष्ट अतिथि प्रो. के. श्रीनिवास, अध्यक्ष, आईसीटी एंड प्रोजेक्ट मैनेजमेंट यूनिट, निपा थे। स्वागत प्रोफेसर आशीष श्रीवास्तव, डीन, स्कूल ऑफ एजुकेशन, महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय ने किया।
अध्यक्षीय उद्बोधन में कुलपति प्रो. संजय श्रीवास्तव ने कहा कि उच्च शिक्षा में ब्लेंडेड मोड में अध्ययन- अध्यापन की ओर शिक्षकों एवं विद्यार्थियों का रुझान बढ़ा हैं। तकनीकी विकास के परिणाम स्वरूप शिक्षण गतिविधि के संचालन में डिजिटल प्लेटफॉर्म की उपलब्धता इसे आसान बना दिया है। एनईपी 2020 में भी अध्ययन- अध्यापन को लेकर मिश्रित मोड (ब्लेंडेड मोड) पर जोर दिया गया है। प्रो. श्रीवास्तव ने नेप के आलोक में एमओओसी-स्वयं (मूक-स्वयं) के माध्यम से उच्च शिक्षा में ब्लेंडेड मोड में शिक्षा दिए जाने पर जोर दिया। उन्होंने डिजिटल दुनिया में उच्च शिक्षा के बदलते परिदृश्य पर प्रकाश डाला। साथ ही अंतःविषय, बहु-विषयक दृष्टिकोण, विश्वविद्यालय में MOOCs-SWAYAM पाठ्यक्रमों, प्लेटफार्मों के आंतरिककरण के महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि उच्च शिक्षा में विद्यार्थियों की आवश्यकता के अनुरूप 'एमओओसी-स्वयं' प्रकृति के पाठ्यक्रम विश्वविद्यालय में शुरू किए जाएंगे।
विशिष्ट अतिथि प्रो. के. श्रीनिवास, अध्यक्ष, आईसीटी एंड प्रोजेक्ट मैनेजमेंट यूनिट , एनआईईपीए ने एमओओसी-स्वयं के बारे में विस्तार से प्रकाश डाला। अपने रोचक व्याख्यान में प्रो. श्रीनिवास ने नवीनतम शैक्षणिक दृष्टिकोण, कृत्रिम बुद्धिमत्ता, और 21 वीं सदी में शिक्षार्थियों के लिए प्रभावशाली, आकर्षक, उत्साहजनक और चुनौतीपूर्ण वातावरण बनाने के संबंध पर विस्तार से जानकारी दी।
प्रो. के. श्रीनिवास ने लर्निंग मैनेजमेंट सिस्टम के साथ अपनी वेबसाइट का प्रदर्शन किया। उन्होंने ई-पीजी पाठशाला, ओईआर, विभिन्न डिजिटल पहल, पीपीपी, 21वीं सदी के कौशल और अर्पित पर बात की। उन्होंने स्वयं पाठ्यक्रम विकसित करने के कदमों पर चर्चा की। उन्होंने ई-ट्यूटोरियल, ई-कंटेंट, असेसमेंट एंड क्विज और डिस्कशन समेत 4 क्वाड्रंट पर बात की। उन्होंने ई-पीजी पाठशाला, डिजिटल लाइब्रेरी, यूजीसी-एमओओसी, शोध गंगा, आईआईटी बॉम्बे स्पोकन ट्यूटोरियल, ई-यंत्र, साक्षात, वर्चुअल लैब्स, एनईएटी, समर्थ, शोध शुद्धि, विद्वान सहित भारत सरकार की विभिन्न डिजिटल पहलों पर प्रकाश डाला। इरिनस , ओलैब्स, ओईआर और डिजिटल अभिलेखागार पर विस्तार से चर्चा की। साथ ही उन्होंने पाठ्यक्रम योजना और डिजाइनिंग, सामग्री विकास, पाठ्यक्रम वितरण प्लेटफॉर्म, पाठ्यक्रम लेनदेन, गतिविधियों और मूल्यांकन, छात्रों की संलग्नता के लिए रणनीति, और सर्वोत्तम प्रथाओं सहित स्वयं पाठ्यक्रम विकसित करने के लिए विभिन्न घटकों पर विस्तार से जानकारी दी। इसके अलावा उन्होंने छात्रों को असाइन करने के लिए मौजूदा ओईआर वीडियो की मदद से एक इंटरैक्टिव सामग्री बनाने के लिए एडुपज़ल के चरण-दर-चरण प्रदर्शन को भी रोचक ढंग से समझाया।
इस मौके पर गाँधी परिसर के निदेशक प्रोफ़ेसर प्रसून दत्त सिंह, चाणक्य परिसर के निदेशक प्रोफ़ेसर आर्त त्राण पाल, पंडित दीनदयाल परिसर के निदेशक प्रोफ़ेसर शिरीष मिश्र , शैक्षिक अध्यन विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. मुकेश कुमार, कार्यक्रम समन्वयक डॉ. मनीषा रानी, डॉ. श्याम नंदन, डॉ. सुनील कुमार, सिंह, डॉ. पैथलोथ ओंकार की महत्वपूर्ण भूमिका रही। कार्यक्रम में विश्विद्यालय के 50 से अधिक संकाय सदस्यों एवं शोधार्थियों ने इस कार्यशाला में सहभागिता की |
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