शेक्सपियर की रचना आज भी प्रासंगिक और सर्वकालिक है:प्रो. संजय श्रीवास्तव
मोतिहारी। हार्मनी, इंग्लिश लिटरेरी सोसाइटी, अंग्रेजी विभाग, महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय, पूर्वी चंपारण, बिहार के तत्वावधान में बार्ड के नाम से प्रसिद्ध विलियम शेक्सपीयर की 460वीं जन्म शताब्दी के अवसर पर ब्लेंडेड मोड में "शेक्सपीयर टुडे इन इंडियन कॉन्टेक्स्ट" विषय पर एक अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन प. राज कुमार शुक्ल सभागार, चाणक्य परिसर, महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय, बिहार में किया गया। कार्यक्रम के मुख्य संरक्षक सह अध्यक्ष, प्रो. संजय श्रीवास्तव, कुलपति, महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय और संरक्षक, प्रो. प्रसून दत्त सिंह, डीन, मानविकी एवम भाषा संकाय थे।
संगोष्ठी के मुख्य संरक्षक और अध्यक्ष कुलपति प्रोफेसर संजय श्रीवास्तव ने अध्यक्षीय उद्बोधन में शेक्सपियर की बौद्धिक चपलता और काव्य कौशल पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि शेक्सपियर वर्गीकरण की अवहेलना करते हैं। उन्होंने शेक्सपियर पर इस तरह के अनुकरणीय संगोष्ठी के लिए अंग्रेजी विभाग को सराहा।
संगोष्ठी के संरक्षक, प्रोफेसर प्रसून दत्त सिंह, डीन, स्कूल ऑफ ह्यूमैनिटीज एंड लैंग्वेजेज, एमजीसीयू ने सभा को संबोधित करते हुए आधुनिक संदर्भ में शेक्सपियर की स्थायी प्रासंगिकता पर चर्चा करते हुए शेक्सपियर और कालिदास के बीच समानताएं चित्रित कीं। उन्होंने शेक्सपियर के मर्चेंट ऑफ वेनिस और कालिदास की 'उपमा' और 'दीपशिखा' की अवधारणा पर भी टिप्पणी की।
कार्यक्रम संयोजक अंग्रेजी विभागाध्यक्ष डॉ. बिमलेश कुमार सिंह ने अतिथियों का स्वागत किया। शेक्सपियर पर अपने विचार साझा करते हुए कहा कि शेक्सपियर आज के समय के सबसे ज्यादा स्वीकार किए हुए लेखक हैं और उनके पात्र जीवन के उत्साह से भरे होते हैं। शेक्सपीयर के लिखे हुए पात्रों से जीवन को हर्षोल्लास से जीने की प्रेरणा मिलती है। उन्होंने वीर कुँवर सिंह जयंती और हनुमान जयंती पर भी प्रकाश डालते हुए बताया कि कैसे हम इन तीनों से प्रेरणा लेकर सबसे बुरे क्षणों में भी स्वयं को सर्वश्रेष्ठ बना सकते है।
उन्होंने अपने स्वागत भाषण में लिटरेरी सोसाइटी के छात्र संगठन और विशेष रूप से कृष्ण कुमार, तापस सरकार, प्रभात कुमार और सूरज जयसवाल का परिचय दिया। सत्र का संचालन कार्यक्रम के सह-संयोजक, असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. उमेश पात्रा ने किया।
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता, लखनऊ विश्वविद्यालय के अंग्रेजी विभाग के प्रोफेसर आर.पी. सिंह ने आधुनिक भारतीय समाज में शेक्सपियर की स्थायी प्रासंगिकता पर प्रकाश डालते हुए अपना व्याख्यान दिया। उन्होंने शेक्सपियर को एक रेनेसां के व्यक्ति के रूप में देखा, उनकी तुलना कालिदास से की, शेक्सपियर के राजनीतिक महत्व, उनके कार्यों में फ्रायड के संदर्भ और स्थानीय भाषाओं में शेक्सपियर के रूपांतरण पर चर्चा की। उन्होंने भारत के शेक्सपियर के रूप में कालिदास और इसके विपरीत, थेरेपी में साहित्य, अध्ययन के डेकोलोनाइजेश, एक रूपक के रूप में शेक्सपियर और अन्य भाषाओं में उनके अनुकूलन आदि पर भी ध्यान केंद्रित किया।
इसी तरह अगले वक्ता, सीयूएसबी के अंग्रेजी विभाग के प्रो.विपिन कुमार सिंह ने भारतीय संदर्भ में शेक्सपियर की प्रासंगिकता पर बात की और इस बात पर जोर दिया कि कैसे शेक्सपियर का सार्वभौमिक मानवीय भावनाओं पर ध्यान केंद्रित करना उन्हें सभी के लिए सुलभ बनाता है।
जेपी विश्वविद्यालय, छपरा के अंग्रेजी विभाग के प्रोफेसर अमरनाथ प्रसाद ने आधुनिक संदर्भ में शेक्सपियर की स्थायी प्रासंगिकता पर प्रभावशाली ढंग से चर्चा करते हुए अपना व्याख्यान दिया। उन्होंने स्थानीय लेखकों को शामिल करने के महत्व पर जोर दिया और मैक्स मुलर को उद्धृत किया। उन्होंने भारतीय संदर्भ में नई व्याख्याओं के बारे में बात करते हुए शेक्सपियर की तुलना महान भारतीय लेखकों से की। उन्होंने शेक्सपियर की रचनाओं में काव्यात्मक सत्य और सौंदर्य की खोज की, फिल्म रूपांतरण पे प्रकाश डाला और बाबा संत कवि लक्ष्मी सेठ का उल्लेख किया। उन्होंने शेक्सपियर के कुछ हिन्दी दोहे भी सुनाये।
आरएमएलएनएलयू के कानूनी अध्ययन विभाग की डॉ. अलका सिंह भी सत्र में शामिल हुईं और शेक्सपियर पर अपने विचार साझा किए।
इसी तरह, डॉ. एक्सेंड्रो मैक्सिमिलियन, ई एल ई डिपार्टमेंट, आईटीटीई, पीजीआरआईबी लैम्पुंग, इंडोनेशिया ने अपना भाषण दिया, जिसमें आधुनिक संदर्भ में शेक्सपियर की स्थायी प्रासंगिकता पर चर्चा की गई, विशेष रूप से शिक्षण परिप्रेक्ष्य पर ध्यान केंद्रित किया गया। उन्होंने अपने व्याख्यान को तीन भागों में विभाजित किया। प्रथम शेक्सपियर अंग्रेजी में क्यों महत्वपूर्ण है? द्वितीय अंग्रेजी में शेक्सपियर का योगदान और तृतीय अंग्रेजी कक्षा में शेक्सपियर को कैसे पढ़ाएं?
उन्होंने अंग्रेजी कक्षाओं में शेक्सपियर को पढ़ाने के तरीकों की चर्चा की। इस बात पर जोर दिया कि शेक्सपियर नैतिक दुविधाओं को कैसे संबोधित करते हैं और आलोचनात्मक सोच को बढ़ावा देते हैं। डॉ. मैक्सिमिलियन ने शिक्षा और समाज पर शेक्सपियर के प्रभाव पर प्रकाश डालते हुए क्षेत्रीय अध्ययनों से एकत्र किए गए शोध डेटा को साझा किया।
स्वागत भाषण के बाद सभी गणमान्य व्यक्तियों और विभाग के संकाय सदस्यों ने शैक्षणिक सत्र 2024-2025 के लिए एमए अंग्रेजी के लिए प्रवेश विवरणिका लांच की।
धन्यवाद ज्ञापन डॉ. कल्याणी हाजरी, असिस्टेंट प्रोफेसर, अंग्रेजी विभाग ने प्रस्तुत की। कार्यक्रम के सफल आयोजन में अंग्रेजी विभाग के संकाय सदस्य विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. उमेश पात्रा, डॉ. कल्याणी हाजरी, श्री बलांडे चंदोबा नरसिंग, और डॉ. दीपक और कार्यक्रम की आयोजन समिति के सदस्यों के साथ-साथ शोधार्थियों और विद्यार्थियों मृत्युंजय आज़ाद, आयुष रंजन, विनीत कुमार और आनंद कुमार की भूमिका सराहनीय थी।
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