जार्ज ऑरवेल की पुण्यतिथि पर ‘लोकतान्त्रिक भावना और जार्ज ऑरवेल’ विषय पर एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन

मोतिहारी। महात्मा गाँधी केन्द्रीय विश्ववविद्यालय के शैक्षिक अध्ययन विभाग द्वारा जार्ज ओरवेल की ७१ वीं पुण्यतिथि के अवसर पर ‘लोकतान्त्रिक भावना और जार्ज ओरवेल’ विषय पर एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया।
 कार्यक्रम के प्रारम्भ में अतिथियों का औपचारिक स्वागत एव परिचय संकायाध्यक्ष सह विभागाध्यक्ष प्रोफेसर आशीष श्रीवास्तव के द्वारा किया गया। उन्होंने अपने उद्बोधन में कहा कि यह हम सब के लिए गर्व का विषय है कि अंग्रेजी साहित्य के इतने बड़े साहित्यकार का जन्म चंपारण की पावन भूमि पर हुआ परन्तु दुर्भाग्य इस बात का है कि हमारी युवा पीढ़ी उनके बारे में नहीं जानती, उन्होंने कहा कि हम सब की नैतिक जिम्मेदारी है कि आने वाली पीढ़ियों को जार्ज ओरवेल के आदर्शों से परचित कराया जाय| उन्होंने यह भी बताया कि पिछले एक साल से मै, जार्ज ओरवेल के परिवार, ओरवेल फाउंडेशन, ओरवेल सोसाइटी से सतत संपर्क में हूं और ओरवेल के विचारों के प्रचार-प्रसार की दिशा में हम साझा कार्यक्रम के लिए निरंतर प्रयासरत है| कार्यक्रम का विषय प्रवर्तन जार्ज ओरवेल के चिंतन पर अपना एम. फिल. शोधकार्य करने वाले श्री आस्तिक मिश्र द्वारा किया गया| उन्होंने अपने शोध कार्य के बारे में उल्लेख करते हुए जार्ज ओरवेल के वैचारिक मूल्यों खास कर लोकतान्त्रिक मूल्यों पर ऑरवेल के दृष्टिकोण से लोगों को अवगत कराया। आगे उन्होंने बताया कि ऑरवेल के विचार समाज की विभिन्न गतिविधियों पर अपना दृष्टिकोण विकसित करने में मदद करती है।
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता स्काटलैंड के प्रसिद्द लेखक- शान माइकल विल्सन का उद्बोधन हुआ उन्होंने अपने वक्तब्य में कहा कि जार्ज ओरवेल की पुस्तक ‘सच सच वेयर द ज्वाय’ का ग्राफिक रूपांतरण उनके द्वारा किया गया है जिसमे उन्होंने ओरवेल की स्कूली शिक्षा के दौरान जीवनी को कार्टून इमेज द्वारा प्रस्तुत किया गया है आगे वे कहते है कि ओरवेल के कोलोनियल दौर के बारे में भी ग्राफिक नोवेल लिखने के प्रयास में हूं| दूसरे वक्ता के रूप में इंग्लॅण्ड के गद्य कथाकार डेविड टेलर का सानिद्ध्य प्राप्त हुआ उन्होंने अपने व्याख्यान में जार्ज ओरवेल के साहित्यिक कार्यों के बारे में अपनी अन्तरदृष्टि और विचारों को साझा किया साथ ही साथ उनके द्वारा वर्तमान में ओरवेल के विचारों की प्रासंगिकता पर प्रकाश डाला गया|

 कार्यक्रम में इंग्लैंड के ऑरवेल सोसाइटी के चेयरमैन क्वेंटिन कोप्प भी मौजूद थे। वक्ताओं के व्याख्यान के पश्चात प्रश्नोत्तरी सत्र का आयोजन शोध छात्रा सुप्रभा द्वारा संचालित किया गया| कार्यक्रम का सफल संचालन विभाग के सहायक आचार्य डॉ. पाथलोथ ओमकार द्वारा किया गया| कार्यक्रम का धन्यवाद ज्ञापन सहायक आचार्य डॉ. मनीषा रानी द्वारा किया गया| इस कार्यक्रम में प्रोफ़ेसर धनंजय जोशी ( अधिष्ठाता शिक्षा संकाय,जी जी एस आई पी विश्वविद्यालय) डॉ. शालिनी यादव, शिक्षा संकाय, जी जी एस आई पी विश्वविद्यालय, महात्मा गाँधी केन्द्रीय विश्ववविद्यालय के शैक्षिक अध्ययन विभाग के सह आचार्य डॉ. मुकेश कुमार , सहायक आचार्य डॉ. रश्मि श्रीवास्तव सहित विश्वविद्यालय के अन्य विभागों का आचार्य गण उपस्थित रहे| कार्यक्रम में विभाग के शोधार्थी एव विद्यार्थी क्रमशः अंगद सिंह , रंजय पटेल, मनीष दिवाकर, नबानी, सुनील दुबे, गणेश शुक्ल, सविता अलोकिता इन्दुबाला, रितु सिंह, कनाई, प्रणब, सुजोय, प्रसेनजित, मेनका, गौतम, रंजन आदि उपस्थित रहे।

Comments

Popular posts from this blog

अमेरिकी दार्शनिक नेल नोडिंग के प्रथम पुण्यतिथि पर एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय वेबीनार आयोजित

केविवि के प्रो. प्रसून दत्त सिंह चीफ प्रॉक्टर नियुक्त

साइबर अपराध से बचाव के लिए जागरूकता जरूरी : कांतेश मिश्र