बृहद प्रतिचयन बहुआयामी विश्लेषण को संभव बनाता: प्रो संजय कुमार

मोतिहारी। राजनीति विज्ञान विभाग, महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय द्वारा भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद के सहयोग से दस दिवसीय शोध प्रविधि पाठ्यक्रम के सातवें दिवस चार तकनीकि सत्रों का आयोजन किया गया।
तेइसवें तकनीकि सत्र में विषय विशेषज्ञ जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय की उप पुस्तकालयाध्यक्ष डॉ शिवा कनौजिया शुक्ला ने विभिन्न रिसर्च मैट्रिक्स के बारे में प्रतिभागियों को विस्तार से बताया। ऐसे सूचकांक के माध्यम से शोध पत्रिकाओं, आलेखों, एवं लेखकों के गुणवत्ता के बारे मे जानकारी मिलती है। 
सत्र के अध्यक्ष महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय के जंतु विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो० प्रणवीर सिंह ने कहा कि विभिन्न सूचकांकों को निकालना एक कठिन कार्य है किंतु निरंतर अभ्यास से इसे सरल बनाया जा सकता है। अनुसंधान का अर्थ ही है, स्वयं को एक शोधार्थी के रूप में स्थापित करना। 
चौबीसवें तकनीकी सत्र में विषय विशेषज्ञ सी एस डी एस, नई दिल्ली के पूर्व निदेशक प्रो. संजय कुमार ने मात्रात्मक अनुसंधान में आने वाली अनेकों समस्यायों एवं उनके समाधान के बारे में प्रतिभागियों से चर्चा की । डा कुमार ने कहा की शोधार्थी को प्रतिचयन अत्यंत सावधानी एवं अनुसंधान की प्रकृति के अनुरुप करना चाहिए। एक बृहद प्रतिचयन, संकलित तथ्यों के पृथक एवं बहुआयामी विश्लेषण को संभव बनाता है। अध्यक्षीय उद्बोधन में महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय के छात्र कल्याण अधिष्ठाता प्रो० आर्तत्राण पाल ने सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि अनुसंधान कोई परीक्षा नही है, यह एक नई खोज है। अच्छे अनुसंधान के लिए उचित प्रविधि को अपनाना अत्यंत आवश्यक है। तेईसवें एवं चौबीसवें सत्र का संचालन मीडिया अध्ययन विभाग के सहायक आचार्य डॉ परमात्मा कुमार मिश्र ने किया। 

पच्चीसवें तकनीकी सत्र का विषय रिपोर्ट लेखन रहा। सत्र के रिसोर्स पर्सन महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय के प्रबंधन विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो० पवनेश कुमार ने कहा कि एक अच्छे एवं गुणवत्ता पूर्ण रिपोर्ट के लिए आवश्यक है कि उसमें सारिणी, ग्राफ, एवं तथ्यों का सुव्यवस्थित सूचीकरण हो। रिपोर्ट को सदा तृतीय पुरुष के सम्बोधन में लिखा जाना चहिए एवं रोमन संख्याओं का उपयोग किया जाना चाहिए। सत्र के अध्यक्ष प्रो० शिरीष मिश्रा ने कहा कि अनुसंधान की सफलता एक अच्छी गुणवत्ता वाले रिपोर्ट पर ही निर्भर करती है। शोध रिपोर्ट एक क्रम मे होनी चहिए एवं अनुसंधान के बारे मे एक समग्र जानकारी रिपोर्ट में सम्मिलित होनी चहिए।

छब्बीसवें सत्र में काशी हिंदू विश्वविद्यालय के राजनीति विज्ञान विभाग की सहायक आचार्य डॉ प्रियंका झा ने गुणात्मक अनुसंधान में नारीवादी प्रविधि के समावेश पर प्रतिभागियों से चर्चा की। डॉ. झा ने कहा कि किसी प्रकार के गुणात्मक अध्यन पर आधारित अनुसंधान में नारीवादी दृष्टिकोण का होना आवश्यक है।  सत्र की अध्यक्षता महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय के सामाजिक विज्ञान संकाय के संकायाध्यक्ष प्रो० सुनील महावर ने की। प्रो० महावर ने विषय की गंभीरता पर अपनी बात रखी।

 पाठ्यक्रम के निर्देशक डॉ नरेंद्र कुमार आर्य ने कहा कि प्रतिभागी शोधार्थियों के समक्ष सामाजिक अनुसंधान में आने वाली समस्याओं का समाधान करना आज के कार्यदिवस का उद्देश्य रहा। पाठ्यक्रम के सह निर्देशक डॉ नरेंद्र सिंह ने कहा कि प्रतिभागियों को अनुसंधान के सैद्धांतिक पक्षों के साथ साथ विभिन्न प्रायोगिक जटिलताओं के बारे में भी अवगत कराना इस पाठ्यक्रम का लक्ष्य हैं।
इस अवसर पर राजनीति विज्ञान विभाग के आशुतोष आनंद, गौरव पंवार, निखिल तोमर, कुमार देवाशीष, रिचा वंदना , मनीष , उज्जवल, संदीप , विजय कुमार , कौशल, सचिन ,सुजीत, अफ़साना, फातिमा समेत शोधार्थी एवं विद्यार्थी मौजूद थे।

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